Tikamgarh: मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित गढ़कुंडार किला न सिर्फ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह रहस्यों से भरा एक ऐसा स्थल है जो आज भी लोगों को रोमांचित करता है. यह किला बुंदेलखंड क्षेत्र के विंध्य पर्वत श्रृंखला पर स्थित है और इसकी सबसे बड़ी खासियत है – दूर से दिखना और पास आने पर अदृश्य हो जाना.
ये है इस किले की खासियत
गढ़कुंडार किले को मही दुर्ग शैली में बनाया गया है, जिसमें दुर्ग की संरचना इस तरह की होती है कि वह दूर से नजर आता है लेकिन जैसे-जैसे आप पास जाते हैं, वह पहाड़ियों के पीछे छिपता जाता है. यह विशेषता दुश्मनों को भ्रमित करने के लिए उपयोगी रही है. किले तक पहुंचने वाले रास्ते इतने जटिल और घुमावदार हैं कि कई बार लोग भटक जाते हैं.
क्या कहते हैं इतिहासकार
इतिहासकार मानते हैं कि यह किला 12वीं सदी के आसपास अस्तित्व में आया और इस पर चंदेल, बुंदेला और खंगार वंशों ने शासन किया. इस किले में दो तहखाने हैं, जिन्हें कभी शासकों का खजाना और सुरक्षा केंद्र माना जाता था. यही तहखाने आज भी सबसे बड़े रहस्य का केंद्र बने हुए हैं.
ये है किले की सबसे चर्चित कहानी
गढ़कुंडार की सबसे चर्चित गायब हो चुकी एक बारात की कहानी है. कहा जाता है कि एक बार एक बारात किले के तहखाने में दाखिल हुई और फिर कभी बाहर नहीं निकल पाई. इसके बाद कई लोगों ने तहखानों में खजाना खोजने की कोशिश की लेकिन वे या तो रास्ता भटक गए या हादसों के शिकार हुए.
राजकुमारी केसर की जौहर गाधा भी सुनाता है किला
इतना ही नहीं, यह किला राजकुमारी केसर की जौहर गाथा के लिए भी जाना जाता है. केसर ने मुहम्मद तुगलक के प्रस्ताव को ठुकराने पर हुए युद्ध के दौरान अपने प्राण त्याग दिए थे. यह घटना इस किले की वीरांगनाओं की शौर्यगाथा को दर्शाती है.
गढ़कुंडार किला न सिर्फ एक स्थापत्य अजूबा है, बल्कि यह भारत की वीरता, समर्पण और रहस्यमय विरासत का जीता-जागता प्रतीक है. यह किला आज भी अनगिनत कहानियों और अनसुलझे रहस्यों को अपने भीतर समेटे हुए है.
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