राजधानी भोपाल में अखबार पर खाने पीने की चीज देने पर लगा बैन
अखबार की स्याही आपके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती है, और इससे आपको कई बीमारियां भी हो सकती हैं। शायद यही वजह है कि फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने अब लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शहर में खाने पीने की चीजों को अखबार से मुक्त करने की मुहिम श
नई दिल्ली:
भोपाल में खाद्य सुरक्षा विभाग के द्वारा अखबार में खाने पीने की वस्तुओं को ना लेने की मुहिम शुरू की गई है। हालांकि इसके विपरीत कुछ ऐसे भी दुकानदार हैं, जिनकी कमाई इतनी नहीं है, कि वह अखबार के विकल्प का सहारा ले सकें, तो वहीं कुछ जगहों पर अखबार को पूरी तरह से बंद किया गया है। लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए चलाई जा रही इस मुहिम पर देखिए हमारी खास खबर। अखबार की स्याही आपके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती है, और इससे आपको कई बीमारियां भी हो सकती हैं। शायद यही वजह है कि फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने अब लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शहर में खाने पीने की चीजों को अखबार से मुक्त करने की मुहिम शुरू कर दी है। इस मुहिम के चलते लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा। फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इसे शुरू किया है। इसके लिए लोगों को स्याही और उसके केमिकल से होने वाली बीमारी के बारे में बताया जाएगा, साथ ही दुकानदारों को भी निर्देशित किया जाएगा कि वह अखबार को बंद कर अन्य विकल्प का सहारा ले। गुड ऑफिसर देवेंद्र दुबे ने यह भी बताया कि, लोगों से शपथ पत्र भी भरवाया जाएगा कि वह आपसे अखबार का खाने-पीने में प्रयोग नहीं करेंगे और ये शपत पत्र दुकानदार भी भरेंगे।
फैसला सही, लेकिन छोटे दुकानदारों के लिए बना मुसीबत
वहीं अगर शहर की बात करें, तो भोपाल में कई छोटी-छोटी दुकानें हैं। जहां पर खाने पीने की चीजें आज भी अखबारों में ही मिलती हैं, हालांकि इसके पीछे कारण भी है, क्योंकि अखबार छोटे छोटे दुकानदारों को सस्ते में मिल जाता है। दुकानदारों की इतनी कमाई नहीं होती है ,कि ये अखबार का जो विकल्प है उसे खरीद सकें। ऐसे में छोटी-छोटी दुकान चलाने वाले व्यापारियों का कहना है ,कि प्रशासन ने नियम काफी सही बनाए हैं । लेकिन अखबार के विकल्प पर मैं भी थोड़ी महंगाई कम कर दें तो अच्छा होगा ताकि वह भी अखबार का उपयोग बंद कर सकें। जानकारी दे रहे है हमारे संवाददाता जितेंद्र शर्मा।
कई दुकानदार पहले से ही कर चुके है अखबार बंद
हालांकि शहर में ऐसी कई दुकानें हैं, जहां काफी पहले से ही अखबार के उपयोग को बंद कर दिया है, और जो दूसरा विकल्प है उसका सहारा लिया जा रहा है । लेकिन इन दुकानदारों का भी कहना है कि जो वैकल्पिक व्यवस्था है, वह आसानी से नहीं मिल पाती है। और जब मिलती है तो काफी ज्यादा दाम बड़े होते हैं। ऐसे में सरकार को थोड़ा उसके मूल्य पर ध्यान देना चाहिए, बाकी जो फैसला लिया गया है, वह काफी अच्छा है। पूरी जानकारी दे रहे हैं हमारे संवाददाता जितेंद्र शर्मा।
फैसला सही, महंगाई के दौर में अंजाम तक पहुंचाना बड़ी चुनौती
लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने एक अच्छी मुहिम शुरू की है। जाहिर सी बात है, अखबार की स्याही में काफी हार्मफुल केमिकल होते हैं , जो लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं। लेकिन सवाल यह भी उठता है, कि इस बढ़ती महंगाई में अखबार के अलावा दूसरा विकल्प छोटे दुकानदारों को काफी महंगा पड़ता है। खासकर उन दुकानदारों को जो रोजमर्रा की जिंदगी में अपनी छोटी दुकान चलाकर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। ऐसे में देखना होगा कि, प्रशासन क्या व्यवस्था करता है जिससे लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक रहे, और दुकानदारों को भी नुकसान ना हो।
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