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भू-माफिया की कोठी में कुर्की करने पहुंचे अधिकारियों ने जब देखा अंदर का नजारा तो रह गए दंग

इसी क्रम में भूमाफिया अरुण डागरिया द्वारा आईआईएलएफ बैंक का आठ करोड़ रुपए लोन नहीं चुकाने पर प्रशासन ने मंगलवार को बिचौली हप्सी में संपत एवेन्यू में उसकी आलीशान कोठी कुर्क कर ली.

Updated on: 18 Dec 2019, 01:06 PM

Bhopal:

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार लगातार माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रावही करती हुई नजर आ रही है. इसी क्रम में भूमाफिया अरुण डागरिया द्वारा आईआईएलएफ बैंक का आठ करोड़ रुपए लोन नहीं चुकाने पर प्रशासन ने मंगलवार को बिचौली हप्सी में संपत एवेन्यू में उसकी आलीशान कोठी कुर्क कर ली. कोठी को सील कर बैंक को सुपुर्दगी में सौंपा गया है. डागरिया ने लोन के बदले बैंक में कोठी गिरवी रखी थी. लोन न चुकाने पर बैंक ने उसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया था.

मंगलवार को जब प्रशासन और पुलिस की टीम कुर्की के लिए पहुंची तो अरुण घर पर नहीं था. उसका बेटा आदित्य और अरुण के माता-पिता ही थे. आदित्य ने बैंक अधिकरियों से बहस की और परिजन ने घर से निकलने से मना कर दिया. बैंक अधिकारियों से विवाद पर एसडीएम अंशुल खरे और तहसीलदार राजेश सोनी ने हस्तक्षेप किया.एसडीएम और पुलिस अधिकारियों ने आदित्य को बताया कि कलेक्टर कोर्ट का आदेश है, कार्रवाई तो होगी.

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यदि आप लोग नहीं हटोगे तो बलपूर्वक हटाना पड़ेगा.बाद में डागरिया के परिजन कपड़े और कुछ जरूरी सामान लेकर रिश्तेदार के यहां चले गए. प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में कोठी को सील कर बैंक के सुपुर्द कर दिया गया. एसडीएम ने बताया कि डागरिया लंबे समय से बैंक का डिफॉल्टर है. लोन न चुकाने पर बैंक ने सरफेसी एक्ट में कलेक्टर कोर्ट में केस लगाया था. कलेक्टर कोर्ट ने लगभग एक साल पहले डागरिया की कोठी कुर्क करने के आदेश दिए थे.बार-बार नोटिस देने का भी उस पर कोई असर नहीं हो रहा था, इसलिए कुर्की की कार्रवाई करनी पड़ी.

दिखा विलासिता से पूर्ण सामान

डागरिया की कोठी में विलासिता का सारा सामान मौजूद था. करीब 26 हजार वर्गफीट में फैली कोठी में महंगे झूमर लगे थे. बेडरूम इतने बड़े थे कि किसी छोटे और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार का घर बन जाए. इसमें बड़े-बड़े बाथरूम और हॉल बने थे. कोठी में मिनी थिएटर था और पियानो भी रखा था. अंदर आने और बाहर जाने के अलग-अलग कई दरवाजे थे. कुछ कमरे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से बंद होने वाले थे. ये फिंगर प्रिंट से ही खुलते थे. अधिकारियों को यह किसी बड़े फिल्म स्टार की कोठी की तरह लगी. बैंक अधिकारियों ने सामान्य कमरे तो लॉक कर सील कर दिए, लेकिन फिंगर प्रिंट से खुलने वाले कमरे सील नहीं कर पाए.