मध्यप्रदेश में उद्योगों को रियायती दर पर जमीन सहित अन्य सुविधाएं मिलेंगी
वहीं किसानों की वह जमीन वापस होगी, जिस पर शहरी विकास परियोजनाओं के लिए अधिगृहित भूमि पर 10 फीसदी काम नहीं हुआ है.
Bhopal:
मध्य प्रदेश में उद्योगों को जमीन रियायती दर दिए जाने सहित कई सुविधाएं देने के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद की बैठक में मंजूरी मिली है. वहीं किसानों की वह जमीन वापस होगी, जिस पर शहरी विकास परियोजनाओं के लिए अधिगृहित भूमि पर 10 फीसदी काम नहीं हुआ है. बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी. सी. शर्मा और नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी संवाददाताओं को दी. उन्होंने कहा, "उद्योग जगत के लिए बड़े फैसले लिए गए, साथ ही लैंड पुलिंग पॉलिसी के संशोधन पर भी सहमति बनी."
मंत्रिपरिषद ने फैसला लिया है, "किसानों की वे जमीनें वापस की जाएंगी जो शहरी विकास प्राधिकरणों द्वारा विभिन्न परियोजनाओं के लिए अधिगृहित की गई थी और उन जमीनों पर योजना का 10 फीसदी काम भी नहीं हुआ है."
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इसमें कहा गया, "राज्य में कुल 84 परियोजनाएं विकास प्राधिकरणों द्वारा संचालित की जा रही है, इनमें से 66 पर 10 प्रतिशत से भी कम काम हुआ है. यह सभी जमीन किसानों को वापस की जाएगी." मंत्रि परिषद ने फैसला लिया, "दैनिक वेतन भोगी कर्मी भी अब अन्य कर्मचारियों की तरह 60 की जगह 62 साल में सेवानिवृत्त होंगे. अनुदान प्राप्त कलेजों के शैक्षणिक संवर्ग की सेवानिवृत्ति आयु भी अब 62 की जगह 65 साल होगी. वहीं प्रदेश में खुली प्रतियोगिता से सीधी भर्ती से भरे जाने वाले पदों के अन्तर्गत न्यूनतम आयु 21 वर्ष तथा अधिकतम आयु 33 वर्ष होगी."
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महिला आवेदकों (अनारक्षित वर्ग) तथा आरक्षित वर्ग के पुरुष, महिला आवेदकों और शासकीय, निगम, मंडल, स्वशासी संस्था के कर्मचारियों तथा नगर सैनिकों के लिए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग से भरे जाने वाले वर्दीधारी राजपत्रित, अराजपत्रित, कार्यपालिक पदों के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष तथा अधिकतम आयुसीमा में पांच वर्ष की छूट के साथ 38 वर्ष होगी. इसी प्रकार, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की परिधि से बाहर के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के वर्दीधारी पदों के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा अधिकतम आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट के साथ 38 वर्ष होगी.
सरकार ने अतिथि विद्वानों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. मंत्रिपरिषद ने तय किया गया है कि किसी भी अतिथि विद्वान को सेवा से बाहर नहीं किया जाएगा. खाली पदों पर इन का समायोजन होगा, इतना ही वर्ष 2022 तक होने वाली भर्ती परीक्षा में अतिथि विद्वानों को वरीयता अंक और आयु में छूट देने के लिए नियम में संशोधन किया जाएगा.
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