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MP Bypolls: ग्वालियर-चंबल में दल-बदल को बना रहे जीत का आधार

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव (MP Bypolls) में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और विरोधी दल कांग्रेस सियासी तौर पर 'करो या मरो' की हद तक पहुंच रहे हैं.

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Vineeta Mandal
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Madhya Pradesh Bypolls

Madhya Pradesh Bypolls( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव (MP Bypolls) में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विरोधी दल कांग्रेस (Congress) सियासी तौर पर 'करो या मरो' की हद तक पहुंच रहे हैं. दोनों ही दल जीत के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हैं. यही कारण है कि दोनों दल नेताओं और कार्यकतार्ओं को दल-बदल कराकर जीत का आधार तैयार करने में लगे हैं.

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बीजेपी ने पिछले दिनों ग्वालियर में तीन दिवसीय सदस्यता महा अभियान चलाया और 76 हजार से ज्यादा कांग्रेस कार्यकतार्ओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई. बीजेपी की सदस्यता लेने वालों में आम कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारी और पिछला चुनाव लड़ने वाले कई उम्मीदवार भी शामिल थे.

अब कांग्रेस भी बीजेपी को उसी के अंदाज में जवाब देने की तैयारी में है और मंगलवार को कांग्रेस ने बीजेपी को बड़ा झटका तब दिया जब ग्वालियर के वरिष्ठ नेता और पिछला चुनाव बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर लड़ने वाले सतीश सिंह सिकरवार को कांग्रेस में शामिल कराया.

सिकरवार बीजेपी के एक जनाधार वाले परिवार के सदस्य हैं. उनके पिता गजराज सिंह सिकरवार बीजेपी के विधायक रहे हैं, वहीं उनका भाई सतपाल सिंह सिकरवार भी मुरैना का जिला पंचायत अध्यक्ष व विधायक रहा है. कुल मिलाकर इस परिवार की ग्वालियर चंबल अंचल के दो से तीन विधानसभा क्षेत्रों में गहरी पैठ है.

यही कारण है कि कांग्रेस ने सतीश सिंह सिकरवार पर दांव लगाया है और आगामी विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी ग्वालियर पूर्व से सिकरवार को उम्मीदवार भी बना सकती है क्योंकि पिछला चुनाव सिकरवार ने बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर इसी क्षेत्र से लड़ा था और कांग्रेस उम्मीदवार मुन्नालाल गोयल से पराजित हुए थे.

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का कहना है कि, बीजेपी के नेता, कार्यकर्ता बड़ी संख्या में कांग्रेस में रोज शामिल हो रहे हैं, हम इसे पब्लिसिटी या इवेंट का रुप नहीं देते है, यह तो बीजेपी की राजनीति है. प्रदेश में जिन 27 सीटों पर उप-चुनाव होना है वहां की जनता समझदार है और जनता सच्चाई का साथ देगी.

वहीं, ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि, सिकरवार के बीजेपी छोड़कर कांग्रेस मे जाने से किसी तरह का पार्टी पर असर नहीं पड़ने वाला है. वे पिछला चुनाव पार्टी के टिकट पर लड़े थे मगर पराजय मिली थी. पार्टी उन्होंने क्यों छोड़ी इसकी वजह क्या है, इसकी जानकारी नहीं है.

राजनीतिक विश्लेषक राकेश अचल का मानना है कि, दल-बदल से किसी भी दल की हार जीत पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ता, हां जिस दल में भीड़ जाती है उसे कुछ संतोष जरुर मिलता है. अगर वास्तव में बीजेपी में कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों के आने से असंतोष होता तो उसी समय प्रतिक्रिया नजर आती. अब जो भी दल बदल कर रहे है वह सब सौदेबाजी है, चाहे कोई किसी भी दल में जा रहा हो या आ रहा हो.

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दोनों ही राजनीतिक दल नाराज व असंतुष्ट चल रहे कार्यकतार्ओं और नेताओं पर नजर गड़ाए हुए हैं. पहले बीजेपी ने महा सदस्यता अभियान चलाया और अब कांग्रेस सक्रिय है. इसके साथ ही आगामी दिनों में मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान व पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर-चंबल का दौरा करने वाले हैं. इस दौरान कई कांग्रेस नेता बीजेपी में शामिल हो तो अचरज की बात नहीं. दोनों ही दलों के लिए यह क्षेत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जिन 27 सीटों पर उप-चुनाव है उनमें से 16 सीटें इसी क्षेत्र से आती हैं.

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