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मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून: किए गए हैं ये प्रावधान, धर्म परिवर्तन पर होगी कड़ी सजा

मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ विधेयक को शिवराज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. नए विधेयक में किसी पर धर्म परिवर्तन के मामले में एक से 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है.

Updated on: 26 Dec 2020, 11:54 AM

भोपाल:

मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ विधेयक 'धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020' को शिवराज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. नए विधेयक में किसी पर धर्म परिवर्तन के मामले में एक से 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा 25 हजार से 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है. इस नए विधेयक के बाद अब 1968 का धर्म परिवर्तन कानून खत्म हो जाएगा. इस विधेयक को विधानसभा के 28 दिसंबर के आयोजित सत्र में पारित कराया जाएगा.

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इस विधेयक में कई प्रावधान किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं-

  1. इस विधेयक में कोई भी व्यक्ति बहकाना, प्रलोभन, धमकी, बल प्रयोग, असम्यक असर, प्रपीड़न, विवाह और अन्य कपटपूर्ण साधन से प्रत्यक्ष अथवा अन्यथा धर्म संपरिवर्तन या धर्म संपरिवर्तन के प्रयास को निषेध किया गया है. धर्म संपरिवर्तन के दुष्प्रेरण अथवा षड्यंत्र को भी निषेध किया गया है.
  2. अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन किए जाने पर कम से कम 1 वर्ष तथा अधिकतम 5 वर्ष कारावास तथा कम से कम रुपए 25,000 अर्थदण्ड अधिरोपित किए जाने का प्रावधान किया गया है.
  3. अधिनियम के प्रावधानों के विरूद्ध महिला/नाबालिग/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के धर्म संपरिवर्तन किए जाने पर कम से कम 2 वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष कारावास तथा कम से कम रुपए 50,000 अर्थदण्ड अधिरोपित किए जाने का प्रावधान किया गया है.
  4. अपना धर्म छिपाकर या Impersonate/Misrepresentation करके अधिनियम के प्रावधानों के विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन किए जाने पर कम से कम 3 वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष कारावास तथा कम से कम रुपए 50,000 अर्थदण्ड अधिरोपित किए जाने का प्रावधान किया गया है.
  5. सामूहिक धर्म संपरिवर्तन (दो या दो से अधिक का एक ही समय धर्म संपरिवर्तन), जो अधिनियम के प्रावधानों के विरूद्ध होगा, किए जाने पर कम से कम 5 वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष कारावास तथा कम से कम रुपए 1 लाख अर्थदण्ड अधिरोपित किए जाने का प्रावधान किया गया है.
  6. एक से अधिक बार अधिनियम के प्रावधान के अंतर्गत अपराध घटित किए जाने पर कम से कम 5 वर्ष तथा अधिकतम 10 वर्ष के कारावास का प्रावधान किया गया है.
  7. जो भी धर्म संपरिवर्तन अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत होगा उस धर्म संपरिवर्तन को अकृत एवं शून्य (Null and Void) माने जाने का प्रावधान किया गया है.
  8. पैतृक धर्म में वापसी को इस अधिनियम में धर्म संपरिवर्तन नहीं माना गया है. पैतृक धर्म वह माना गया है जो व्यक्ति के जन्म के समय उसके पिता का धर्म था.
  9. धर्म संपरिवर्तित व्यक्ति, उसके माता पिता या भाई बहन को पुलिस थाने में इस अधिनियम में कार्यवाही किए जाने हेतु शिकायत किए जाने को आवश्यक किया गया है. रिवाद के माध्यम से न्यायालय से आदेश प्राप्त कर धर्म संपरिवर्तित व्यक्ति के अन्य संबंधी, Legal, Guardian, दत्तक, Custidian भी शिकायत दर्ज करा सकेंगे.
  10. इस अधिनियम में दर्ज अपराध संज्ञेय (Cognizable) तथा गैर-जमानती (Non-Bailable) होंगे तथा सत्र न्यायात्रय ही सुनवाई के लिए अधिकृत घोषित किए गए हैं.
  11. अन्वेषण उप निरीक्षक से निम्न स्तर के पुलिस अधिकारी द्वारा नहीं किया जा सकेगा.
  12. अधिनियम में निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करने की बाध्यता (Burden of Proof) अभियुक्त पर रखी गई है.
  13. अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत किए गए विवाह को Null and Void मानने का प्रावधान अधिनियम में किया गया है. इसके लिए परिवार न्यायालय को अधिकृत किया गया है.
  14. अपराध में पीड़ित महिला एवं पैदा हुए बच्चे को भरण पोषण प्राप्त करने के अधिकार होने के प्रावधान किए गए हैं.
  15. पैदा हुए बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में अधिकार बरकरार रखे जाने का प्रावधान शामिल किया गया है.
  16. अधिनियम के प्रावधानों के विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन कराने वाली संस्था या संगठन के विरूद्ध भी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध पर दिये जाने वाले कारावास तथा अर्थदण्ड के समकक्ष प्रावधान किये गये हैं. ऐसी संस्थाओं तथा संगठनों के पंजीयन सक्षम प्राधिकारी द्वारा निरस्त करने का प्रावधान रखा गया है.
  17. स्वेच्छा से धर्म संपरिवर्तन करने वाले व्यक्ति अथवा उसका धर्म संपरिवर्तन कराने वाले धार्मिक व्यक्ति को जिला दंडाधिकारी को 60 दिवस पहले सूचना दिया जाना आवश्यक किए जाने का प्रावधान रखा गया है.
  18. धर्म संपरिवर्तन कराने वाले धार्मिक व्यक्ति द्वारा जिल्ला दंडाधिकारी को धर्म संपरिवर्तन के 60 दिवस पूर्व सूचना नहीं दिए जाने पर कम से कम 3 वर्ष तथा अधिकतम 5 वर्ष कारावास तथा कम से कम रूपए 50,000 के अर्थदण्ड अधिरोपित किए जाने प्रावधान किया गया है.