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एमपी में मंत्रियों के विभाग वितरण में भी सिंधिया की 'छाया'

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार के 10 दिन बाद आखिरकार मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर ही दिया गया. इस विभाग वितरण में ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव साफ नजर आ रहा है. यही कारण है कि भाजपा से लेकर कांग्रेस

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Vineeta Mandal
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CM Shivraj And Jyortiraditya Scindia

CM Shivraj And Jyortiraditya Scindia( Photo Credit : (फाइल फोटो))

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मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार के 10 दिन बाद आखिरकार मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर ही दिया गया. इस विभाग वितरण में ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव साफ नजर आ रहा है. यही कारण है कि बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक सवालों की झड़ी लगाए हुए हैं. राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार में मुख्यमंत्री के अलावा 33 मंत्री हैं इनमें 25 कैबिनेट स्तर के और आठ राज्य मंत्री हैं. चौहान ने मुख्यमंत्री के तौर पर 23 मार्च को शपथ ली थी और उसके लगभग एक माह बाद पांच कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी. फिर दो माह तक चले मंथन के बाद 28 और मंत्रियों को शपथ दिलाई गई.

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राज्य में बीजेपी की सरकार बनाने में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है क्योंकि 22 विधायकों के कांग्रेस पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था. सिंधिया के सहयोग से बनी सरकार में उनके समर्थकों को पर्याप्त हिस्सेदारी की जिम्मेदारी बीजेपी पर थी.

राजनीतिक विश्लेषक संतोष गौतम का मानना है, "राज्य में बीजेपी की सरकार सिंधिया के समर्थन और सहयोग से बनी है, लिहाजा सिंधिया समर्थकों को पहले मंत्री बनाना और फिर उसके बाद महत्वपूर्ण विभाग देना राजनीतिक समझौतों का हिस्सा रहा होगा और बीजेपी ने अपने समझौते को पूरा किया है. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं के मन में सवाल उठ सकते हैं मगर बीजेपी में कार्यकर्ता के ज्यादा दूर तक जाने (बगावत) की आशंका नहीं रहती."

वर्तमान में सरकार में 33 मंत्रियों में 14 मंत्री ऐसे हैं जो सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए 22 तत्कालीन विधायकों में से हैं. जिन 14 लोगों को मंत्री बनाया गया है उनमें 11 सिंधिया के खास समर्थक हैं और तीन ऐसे हैं जो दूसरे संपर्क सूत्रों के जरिए बीजेपी में शामिल हुए हैं.

मंत्रियों के बीच विभाग वितरण को लेकर बीते 10 दिनों से जद्दोजहद जारी थी और कहा जा रहा था कि सिंधिया अपने समर्थकों को महत्वपूर्ण विभाग दिलाना चाहते हैं और यह बात विभाग वितरण में भी नजर आ रही है. सिंधिया समर्थक कैबिनेट मंत्रियों में तुलसी राम सिलावट को जल संसाधन, गोविंद सिंह राजपूत को राजस्व व परिवहन, इमरती देवी को महिला एवं बाल विकास, डा. प्रभुराम चौधरी को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महेंद्र सिंह सिसोदिया को पंचायत एवं ग्रामीण विकास, प्रद्युम्न सिंह तोमर को ऊर्जा और राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग की जिम्मेदारी दी गई है.

इसके अलावा सिंधिया समर्थक राज्यमंत्रियों में बृजेन्द्र सिंह यादव को लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी, गिर्राज डंडोतिया को किसान कल्याण एवं कृषि विकास, सुरेश धाकड़ लोक निर्माण विभाग और ओ पी एस भदौरिया को नगरीय विकास एवं आवास विभाग दिया गया है.

वहीं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए तीन अन्य मंत्रियों एंदल सिंह कंसाना को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, हरदीप सिंह डंग को नवीन एवं नवकरणीय उर्जा और बिसाहूलाल सिंह को खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग दिया गया है.

सिंधिया समर्थकों को महत्वपूर्ण विभाग दिए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, "आखिर 11 दिनों के 'वर्कआउट' के बाद लूट का बंटवारा हो गया. परिवहन, राजस्व जलसंसाधन आदि गए भगोड़ों को और एक्साइज, शहरी विकास गए बीजेपी को. देखते हैं तीन महीने की अंतरिम सरकार कितना अपना भला करती है और कितना जनता का. यह भी देखना है इस अंतरिम मंत्रिमंडल की कितनी बात अधिकारी मानते हैं."

इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री ने सिंधिया पर तंज सकते हुए कहा, "परिवहन और राजस्व विभाग में सिंधिया जी की इतनी रुचि क्यों है? समझदार लोग समझते हैं."

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कांग्रेस नेता ने तो हमला बोला ही बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई भी अपनी बात तल्ख अंदाज में कह रहे हैं. उनका कहना है, "इस हाथ दे-उस हाथ ले, का शानदार उदाहरण प्रस्तुत हुआ है, मप्र की वर्तमान राजनीति में. आज जब सरकार ना तो बनानी थी और न गिरानी. फिर यह क्यों किया गया? आप बीजेपी को कहां ले जाना चाहते हैं? जनता को बताएं ना बताएं बीजेपी को यह बताना होगा. या फिर हमें संस्कारों का उल्टा पाठ पढ़ाना होगा."

मंत्रियों के बीच विभाग वितरण के साथ मुख्यमंत्री और संगठन ने आगामी समय में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव की तैयारी तेज करने का मन बना लिया है. अब देखना है कि बीजेपी जमीन पर किस तरह से अपनी ताकत दिखा पाती है.

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