जिलाधिकारी के रूप में घोड़े पर गश्त करते थे अजित जोगी, खुद ही बुझाने लगे थे आग : पूर्व सहकर्मी

इंदौर में जोगी के पूर्व सहकर्मियों में शामिल निर्मल उपाध्याय ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया, जोगी एक कुशल घुड़सवार थे और अक्सर सुबह जल्दी उठने के बाद घोड़े पर सवार होकर शहर में गश्त करने निकल पड़ते थे.

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Ravindra Singh
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अजित जोगी( Photo Credit : फाइल)

अविभाजित मध्यप्रदेश में इंदौर के जिलाधिकारी के रूप में अजीत जोगी (Ajit Jogi) की शानदार पारी को याद करते हुए उनके पूर्व सहकर्मियों ने शुक्रवार को उनके निधन पर शोक जताया. नौकरशाही में जोगी के साथ काम कर चुके लोगों का कहना है कि जिलाधिकारी के तौर पर वह कुशल प्रशासक, हरफनमौला शख्सियत और मिस्टर परफेक्शनिस्ट थे. जोगी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल होने का अहम फैसला इंदौर में ही किया था. इस फैसले ने उनके जीवन की दिशा बदल दी थी. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से इसी साल सेवानिवृत्त हुईं रेणु पंत ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया, आईएएस की प्रोबेशनर अधिकारी के रूप में जब इंदौर में उप जिलाधिकारी के तौर पर मेरी पहली पदस्थापना हुई, तब जोगी इस जिले के जिलाधिकारी थे.

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पंत ने आगे बताया कि मुझे उनसे काफी कुछ सीखने को मिला, क्योंकि वे कुशल प्रशासक और हरफनमौला शख्सियत थे. पंत याद करती हैं , अजीत जोगी (Ajit Jogi) लोगों से अच्छी तरह संवाद करने में माहिर थे और कई मसलों को बातचीत से ही सुलझा लिये करते थे. उन्होंने कहा, जोगी को हर काम को बारीकी से करने और कराने का जुनून था. कई बार वह हमें सरकारी फाइलों में वर्तनी की गलतियां करने पर भी टोक देते थे और हमें सिखाते हुए इन्हें दुरुस्त कराते थे. अच्छा काम करने पर वह एक श्रेष्ठ नेतृत्वकर्ता के तौर पर मातहतों को प्रोत्साहित भी करते थे. इंदौर में जोगी के पूर्व सहकर्मियों में शामिल निर्मल उपाध्याय ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया, जोगी एक कुशल घुड़सवार थे और अक्सर सुबह जल्दी उठने के बाद घोड़े पर सवार होकर शहर में गश्त करने निकल पड़ते थे. वह सुबह नौ बजे तक अपने दफ्तर पहुंच जाते थे और देर रात तक काम करते रहते थे. 

ऐसे जांचते थे राजस्व अधिकारियों का प्रारूप
जोगी जब इंदौर के जिलाधिकारी थे, तब उपाध्याय नायब तहसीलदार के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने बताया, राजस्व अधिकारियों का प्रदर्शन जांचने के लिये उन्होंने अपना प्रारूप तय कर रखा था. वह हमें राजस्व वसूली, कानून-व्यवस्था आदि पैमानों पर अंक प्रदान कर हमारे काम का मूल्यांकन करते थे. उपाध्याय ने बताया, मुझे याद है कि एक बार इंदौर की घनी बसाहट वाले एक इलाके के पेट्रोल पम्प में आग लग गयी थी और इसके फैलने पर बड़े नुकसान का खतरा था. मैंने देखा कि वह एक अग्निशमन कर्मी की तरह दमकल का पाइप पकड़कर विकराल लपटों पर पानी की बौछार करने लगे और आग के पूरी तरह बुझने तक मौके पर ही डटे रहे थे.

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पेट्रोल पंप पर लगी आग को बुझाने के लिए खुद ही संभाल लिया मोर्चा
उन्होंने बताया, आग बुझाने के दौरान जोगी दमकल के पानी से पूरी तरह भीग गये थे और हम जैसे उनके मातहत कर्मचारी जिलाधिकारी का यह रूप देखकर चकित थे. जोगी, प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पसंदीदा अफसरों में शुमार थे. अर्जुन सिंह सरकार के दौरान उन्हें डीएम के रूप में अलग-अलग जिलों की कमान सौंपी गयी थी. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब उनके बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, तब जोगी इंदौर में जिलाधिकारी के तौर पर पदस्थ थे और सबसे लंबे समय तक डीएम बने रहने का रिकॉर्ड उनके नाम हो चुका था.

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1986 में कांग्रेस के टिकट पर पहुंचे राज्यसभा 
जून 1986 में उनकी पदोन्नति के आदेश जारी हो चुके थे और जोगी इंदौर में उनकी विदाई के लिये हो रहे आयोजनों में व्यस्त थे, तभी प्रधानमंत्री कार्यालय से उन्हें फोन कर आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देने और राज्यसभा चुनाव के लिये नामांकन दाखिल करने को कहा गया था. महत्वाकांक्षी जोगी ने इस पेशकश को स्वीकार कर लिया था और इसके साथ ही उनकी राजनीतिक पारी की शुरूआत हो गयी थी. 

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