Pakistan में भी लोग अब कह रहे हैं कि बंटवारा एक गलती थी: भागवत भागवत
भागवत ने कहा, 'एक व्यक्ति को सीमांकन करने के लिए लाया गया. जाते समय उसने कहा कि मैं एक्सपर्ट नहीं हूं. मैं नहीं जानता कि कैसे करना है और मेरे पास समय भी नहीं था. जो मैने किया है, वह मैं भी नहीं जानता हूं.'
highlights
- इतिहास में दर्ज भारत व पाकिस्तान के कृत्रिम विभाजन पर कोई विवाद नहीं
- सिंधी समुदाय सब गंवा कर भी शरणार्थी नहीं बना, पुरुषार्थी बन कर दिखाया
- मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में 25 हजार रुपए की राशि सिंधु दर्शन के लिए
भोपाल:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने भारत और पाकिस्तान के विभाजन (Partition) को कृत्रिम बताया है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के भेल दशहरा मैदान पर अमर बलिदानी हेमू कालानी जन्म-शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख भागवत ने कहा, 'इतिहास में दर्ज है कि भारत व पाकिस्तान का विभाजन कृत्रिम है. इस पर कतई कोई विवाद नहीं कर सकता.' अपनी बात को स्पष्ट करते हुए भागवत ने कहा, 'एक व्यक्ति को सीमांकन करने के लिए लाया गया. वह नहीं जानता था उसके पास सिर्फ तीन महीने थे. जाते समय उसने कहा कि मैं इसका एक्सपर्ट नहीं हूं. मैं नहीं जानता कि कैसे करना है और मेरे पास समय भी नहीं था. जो मैने किया है, वह मैं भी नहीं जानता हूं.' उन्होंने कहा, 'स्थिति यह है कि पाकिस्तान में भी लोग अब कह रहे हैं कि बंटवारा एक गलती थी. भारत और उसकी संस्कृति से कटे लोग क्या आज खुश हैं? बंटवारे के बाद जो भारत आ गए, वे तो खुश हैं. हालांकि जो नहीं आए और पाकिस्तान में ही रह गए, वह कतई खुश नहीं हैं.'
स्वतंत्रता संग्राम में सिंधियों के योगदान का उल्लेख कम
सरसंघचालक भागवत ने कहा, 'सिंधी समुदाय सब कुछ गंवा कर भी शरणार्थी नहीं बना, उसने पुरुषार्थी बन कर दिखा दिया. शहीद हेमू के नाम के साथ सिंध का नाम जुड़ा है. सिंधी समुदाय के स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख कम होता है.' भागवत ने कहा कि हेमू जी का मानना था कि हम तो चले जाएंगे, हम रहेंगे नहीं, लेकिन भारत जरूर रहेगा. इसी आदर्श को लेकर संत कंवरराम जैसे देशभक्त भी बलिदान के लिए आगे आए. उन्होंने कहा, 'सिंधी समुदाय ने भारत नहीं छोड़ा था, वे भारत से भारत में ही आए थे. सिंधु संस्कृति में वेदों के उच्चारण होते थे. हमने तो भारत बसा लिया, लेकिन वास्तव में राष्ट्र खंडित हो गया. आज भी उस विभाजन को कृत्रिम मानते हुए सिंध के साथ लोग मन से जुड़े हैं. सिंधु नदी के प्रदेश सिंध से भारत का जुड़ाव रहेगा. वहां के तीर्थों को कौन भूल सकता है.'
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#WATCH | Bhopal: Today people of Pakistan are saying that (partition of India) was a mistake. Those who got separated from India, from their culture, are they still happy? Those who came to India are happy today but those who are there (in Pak) are not happy: RSS chief (31.03) pic.twitter.com/OOdxGi8HFg
— ANI (@ANI) April 1, 2023
भोपाल में बनेगा सिंधी संस्कृति को सामने लाता संग्रहालय
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मौके पर कई घोषणाएं की. भोपाल की मनुआभान टेकरी के साथ ही प्रदेश के जबलपुर और इंदौर में भी अमर शहीद हेमू कालानी की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी. सिंधी संस्कृति प्राचीनतम संस्कृति है. इसकी विशेषताओं को दिखाने वाले एक संग्रहालय का निर्माण राजधानी भोपाल में किया जाएगा. सिंधी विस्थापितों को कम कीमत पर पट्टे प्रदान करने के लिए मापदंड निर्धारित किए गए हैं. इसके अनुसार प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर पात्र सिंधी विस्थापितों को पट्टे प्रदान करने का कार्य किया जाएगा. विशेष शिविर लगा कर पात्र सिंधी विस्थापितों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि लद्दाख स्थित सिंधु नदी के घाट पर प्रतिवर्ष जून माह में होने वाले सिंधु दर्शन उत्सव में प्रदेश के यात्रियों को भिजवाने की व्यवस्था राज्य सरकार ने प्रारंभ की थी. कोरोना और अन्य कारणों से इसे निरंतरता नहीं मिली. इस वर्ष मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में प्रति यात्री 25 हजार रुपए की राशि सिंधु दर्शन उत्सव में ले जाने के लिए प्रदान की जाएगी. सिंधी साहित्य अकादमी के बजट को बढ़ाकर पांच करोड़ रुपए वार्षिक किया जाएगा. इस आयोजन में देश के विभिन्न हिस्सों से सिंधी समाज के प्रतिनिधि और प्रमुख लोग पहुंचे.
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