मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शख्स को दिया ऐसा आदेश, जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आपराधिक अवमानना के मामले में एक शख्स को ऐसा आदेश दिया है, जिसकी चर्चा आज हर तरफ हो रही है. न्यायालय ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था.

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Suhel Khan
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का शख्स को अनोखा आदेश (Social Media)

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक आपराधिक अवमानना ​​मामले में एक व्यक्ति को ऐसा आदेश दिया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया. दरअसल, हाईकोर्ट ने शख्स की माफी स्वीकार करने के बाद उसे एक महीने के भीतर देशी प्रजातियों के 50 पेड़ लगाने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने राहुल साहू नाम के एक शख्स के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए  आपराधिक अवमानना ​​याचिका के मामले की बीते दिनों सुनवाई की. जिसमें हाईकोर्ट ने उसे पेड़ लगाने का आदेश दिया.

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हाईकोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि, "आचरण को ध्यान में रखते हुए, हम निर्देश देते हैं कि प्रतिवादी (साहू) मुरैना जिले के संबलगढ़ क्षेत्र में स्वदेशी प्रजातियों के 50 पेड़ लगाएंगे. इन पेड़ों  की लंबाई कम से कम 4 फीट होगी और ये स्वदेशी प्रकृति के होंगे."

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इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि, "ये पेड़ उप मंडल अधिकारी (वन), संबलगढ़ के निर्देशन में लगाए जाएंगे. उन्हें ये पेड़ एक महीने की अवधि के भीतर लगाने होंगे." मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी), संबलगढ़ से प्राप्त अवमानना ​​संदर्भ पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है.

कम पढ़ा-लिखा है आरोपी

अदालत के अपने आदेश में कहा गया, "प्रतिवादी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित है. उसने (साहू ने) 15 अक्टूबर, 2024 को दायर किए अपने हलफनामे में तर्क दिया है कि वह एक अर्ध-साक्षर व्यक्ति है और उसने केवल 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है." हाईकोर्ट ने आगे बताया कि, 'उसने हलफनामे में कहा कि उनके पास औपचारिक कानूनी शिक्षा नहीं है और उन्हें कानूनी प्रक्रिया का सीमित ज्ञान है और वह अदालती कार्यवाही की मर्यादा और आवश्यकता से अपरिचित हैं.

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आरोपी ने बिना शर्त मांगी माफी

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा गया कि साहू ने अपने आचरण पर अफसोस जताया है और बिना शर्त माफी मांगी है. साथ ही भविष्य में सावधान रहने का वचन दिया. अदालत ने कहा, "उन्होंने स्वेच्छा से समाज सेवा शुरू की है." इसमें कहा गया है कि जिस क्षेत्र में पेड़ लगाए जाएंगे उसका निर्णय उप मंडल अधिकारी (वन), संबलगढ़ द्वारा किया जाएगा. अदालत ने आदेश में कहा है कि, "प्रतिवादी ने निर्देश का अनुपालन किया, तो उसके खिलाफ चल रही कार्यवाही बंद हो जाएगी."

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जानें क्या है पूरा मामला?

आरोपी साहू के वकील आशीष सिंह जादौन ने बताया कि, साहू ने अदालत की कार्यवाही से संबंधित एक टिप्पणी के साथ मुरैना की अदालत की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कीं. उन्होंने ऐसा तब किया था जब उनकी पत्नी द्वारा दायर एक पारिवारिक मामले की कोर्ट में सुनवाई हो रही थी. न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने सोशल मीडिया पोस्ट का संज्ञान लिया और साहू को नोटिस दिया, लेकिन उन्होंने मौका देने के बावजूद जवाब नहीं दिया. वकील ने बताया कि जेएमएफसी ने बाद में मामले को उच्च न्यायालय में भेज दिया.

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