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Maharashtra: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नतीजों के ठीक 11 दिन बाद आखिरकार प्रदेस के मुखिया के नाम पर मुहर लग गई. अपने बेहतरीन प्रदर्शन के साथ बीजेपी ने न सिर्फ सबसे ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की बल्कि अपना मुख्यमंत्री बनाने का रास्ता भी पूरी तरह साफ कर लिया है. भले ही महायुति में अनबन चलती रही लेकिन आखिरकार हुआ वही जो बीजेपी ने सोचा था. देवेंद्र फडणवीस को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. यानी महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस 5 दिसंबर को शपथ लेंगे. देवेंद्र फडणवीस बतौर सीएम तीसरी बार शपथ लेंगे. लेकिन अपने नाम पर मुहर लगने के साथ यानी सीएम पद लेने के साथ-साथ देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे और अजित पवार को एक और बड़ा झटका दिया है.
देवेंद्र फडणवीस ने सीएम बनने की स्क्रिप्ट काफी पहले ही लिख ली थी. ये पटकथा उस वक्त लिखी गई थी जब शिवसेना दो फाड़ हुई. इसके साथ ही एनसीपी के भी टुकड़े होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी की मजबूती के रास्ते साफ होने लगे थे. पार्टी ने चुनाव तो मिलकर लड़ा लेकिन जनता ने दिल खोलकर बीजेपी के पक्ष में वोट दे डाला.
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बिखरी हुई शिवसेना और एनसीपी पर महाराष्ट्र की जनता ने ज्यादा भरोसा नहीं दिखाया. यही वजह है कि अपने नाम पर लंबे संघर्ष के बाद भी मुहर लगते ही फडणवीस ने खास मंत्रालयों को भी अपनी झोली में ही रखा है.
बीजेपी यानी देवेंद्र फडणवीस ने अपने लाव लश्कर में बीजेपी के एक दो नहीं बल्कि 21 या 22 मंत्रियों के साथ रहेंगे. जबकि एकनाथ शिंदे को जो बीते 11 दिनों से ये मांग कर रहे थे कि उन्हें 16 मंत्री दिए जाएं. इनमें डिप्टी सीएम के साथ गृहमंत्रालय भी दिया जाए उन्हें निराशा हाथ लगी है. इसी तरह अजित पवार को भी बड़ा झटका लगा है. सूत्रों की मानें तो अजित पवार की एनसीपी को 9 से 10 मंत्री ही दिए जा रहे हैं.
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों की बात की जाए तो बीजेपी ने 132 सीट जीत दर्ज की. जबकि एकनाथ के नेतृत्व में शिवसेना 57 सीटों पर जीत दर्ज दूसरी बड़ी पार्टी बनी. वहीं एनसीपी ने 41 सीट पर जीत का परचम लहराया. बहरहाल इन्हीं सीटों के आधार पर मंत्रालयों का बंटवारा भी हो रहा है.
एकनाथ शिंदे बीते 11 दिनों से ही अपनी मांगों पर ही अड़े रहे. उन्होंने डिप्टी सीएम के साथ गृहमंत्रालय और कुछ बड़े पोर्टफोलियो वाली मिनिस्ट्री की मांग की थी. लेकिन फडणवीस के मास्टरस्ट्रोक के आगे सब ध्वस्त हो गया. कोई भी समीकरण काम नहीं कर पाया और हुआ वही जो पहले ही लिखा जा चुका था.
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