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कृषि कानूनों से किसान फंस जाएगा उद्योगपतियों के चंगुल में : राजगोपाल

इस पदयात्रा में मध्यप्रदेश के सागर, रायसेन, सीहोर, सिवनी, टीकमगढ़, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, श्योपुर सहित देश के सात राज्यों से आए किसान शामिल हैं. यह पदयात्रा शनिवार को 19 दिसंबर को पद यात्रा राजस्थान के धौलपुर जाएगी.

Updated on: 19 Dec 2020, 01:28 PM

मुरैना:

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन चल रहा है, बड़ी संख्या में किसानों का दिल्ली के आस-पास डेरा है. इस आंदोलन के समर्थन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना से दिल्ली की ओर निकले किसानों की अगुवाई कर रहे एकता परिषद के संस्थापक पी वी राजगोपाल ने कहा कि कृषि कानूनों से सिर्फ किसान ही नहीं देश उद्योगपतियों के चंगुल में फंस जाएगा.

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मुरैना से चलकर दिल्ली की अेार बढ़ रहे पदयात्रियों को संबोधित करते हुए राजगोपाल ने कहा, "देश भर में चल रहे किसान आंदोलन की अनदेखी करते हुए केंद्र सरकार लगातार यह झूठ बोल रही है कि तीनों कृषि कानूनों से किसानों को फायदा होगा. किसानों की मांग मानने के बजाय उनकी उपेक्षा की जा रही है. हम जय जवान, जय किसान का नारा लगाते हैं, क्योंकि जवान सीमाओं की रक्षा करते हैं और किसान हमारे अन्नदाता हैं. यदि उद्योगपतियों की जेब भरने के लिए किसानों की अनदेखी की गई, तो देश अंधकार में डूब जाएगा."

राजगोपाल का कहना है कि, "गांधी के देश में किसान का महत्व सबसे ज्यादा होना चाहिए. वर्तमान कृषि कानून बिना किसी चर्चा के संसद से पारित करवाया गया. किसान इन कानूनों की बारीकियों को समझ रहे हैं. वे जानते हैं कि भले ही कोई आश्वासन दिया जाए, अंतत: बाद में कानून के कारण न केवल वे प्रभावित होंगे, बल्कि पूरा देश उद्योगपतियों के चंगुल में फंस जाएगा. केंद्र सरकार को किसानों की मांग मानते हुए तीनों कानूनों को रद्द करना चाहिए और उद्योगपतियों के बजाय किसानों के साथ चर्चा कर स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर कृषि कानून बनाना चाहिए."

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एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रण सिंह परमार का कहना है कि, "आंदोलन में पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के किसान ही नहीं बल्कि देश भर के लोग शामिल हैं. इन कानूनों का प्रभाव पूरे देश पर नकारात्मक पड़ेगा, इसलिए किसान आंदोलन में किसानों का समर्थन देने के लिए विभिन्न जन संगठन दिल्ली पहुंच रहे हैं."

एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीश कुमार ने बताया कि, "13 दिसंबर से 16 दिसंबर तक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कवर्धा तहसील से मध्यप्रदेश के मंडला, डिंडोरी, उमरिया, कटनी, दमोह, सागर, ललितपुर, झांसी, दतिया, ग्वालियर होते हुए मुरैना तक की जागरूकता यात्रा निकाली गई. इसके बाद 17 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना से दिल्ली की ओर पद यात्रा निकाली गई है."

इस पदयात्रा में मध्यप्रदेश के सागर, रायसेन, सीहोर, सिवनी, टीकमगढ़, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, श्योपुर सहित देश के सात राज्यों से आए किसान शामिल हैं. यह पदयात्रा शनिवार को 19 दिसंबर को पद यात्रा राजस्थान के धौलपुर जाएगी. 20 दिसंबर को धौलपुर शहर में लोगों के बीच कृषि कानूनों की हकीकत बताकर एकता परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली रवाना हो जाएगा.