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गैंगरेप से क्षुब्ध दलित किशोरी ने दी जान, पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में

8 अक्टूबर को नाबालिग दलित लड़की को दबंग किशन उपाध्याय अपने साथियों के साथ उठाकर ले गया. घर से दूर 1 किलोमीटर स्थित जंगल में नाबालिग को लेकर गया और साथियों के साथ मिलकर गैंगरेप किया.

Updated on: 14 Oct 2020, 05:40 PM

नई दिल्ली :

देश में महिलाओं के साथ यौन शोषण का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला मध्य प्रदेश के चित्रकूट से सामने आया है जहां, गैंगरेप से  क्षुब्ध दलित किशोरी ने अपनी जान दे दी. पूरी घटना में पुलिस की कार्रवाई भी सवालों के घेर में हैं. 

बताया जा रहा है कि 8 अक्टूबर को नाबालिग दलित लड़की को दबंग किशन उपाध्याय अपने साथियों के साथ उठाकर ले गया. घर से दूर 1 किलोमीटर स्थित जंगल में नाबालिग को लेकर गया और साथियों के साथ मिलकर गैंगरेप किया. इसके बाद लड़की को बांधकर बदमाश फरार हो गए. 

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बेटी को खोजते-खोजते पिता घटना स्थल पर पहुंचा. उसकी बेटी के हाथ-पांव बंधे हुए थे. उसने सरैयां चौकी को सूचना दी. जहां एक सिपाही पहुंचा और मौके की वीडियो ग्राफी की. इसके बाद पीड़िता के हाथपांव खोले. 

लेकिन बाद में चौकी ने पीड़िता के पिता का मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया. पीड़िता के पिता से कहा गया ये कर्वी कोतवाली का मामला है.

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दरअसल घटना स्थल और पीड़िता का घर मानिकपुर थाने की सरैयां चौकी और कर्वी कोतवाली के बॉर्डर पर है. पीड़िता के पिता के मुताबिक कर्वी कोतवाली उनके घर से 20 किलोमीटर दूर है जहां तक पहुंचने के लिए उनके पास भाड़े के लिए पैसे नहीं थे. वो बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए पैसे के इंतजाम में जुट गए और 13 तारीख को पैसे के इंतजाम के लिए ही वो घर से तिल और कुछ अनाज बेचने बाज़ार गए, ताकि उस पैसे से वो बेटी को लेकर कर्वी कोतवाली पहुंच सकें और अपनी शिकायत दर्ज करवाएं.

 लेकिन जब वो घर वापस आये तो बेटी ने दुपट्टे से फांसी लगाकर जान दे दी थी.  शायद उसकी उम्मीद टूट चुकी थी कि उसे अब इंसाफ मिल पायेगा और इसी हताशा और ग्लानि में  उसने अपनी जान दे दी.