शिवराज के विधानसभा क्षेत्र में आदिवासियों के चिटफंड कंपनी ने 4.5 करोड़ हड़पे : दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में आदिवासियों के साढ़े चार करोड़ रुपए एक चिटफंड कंपनी द्वारा हड़पने का आरोप लगाया है.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में आदिवासियों के साढ़े चार करोड़ रुपए एक चिटफंड कंपनी द्वारा हड़पने का आरोप लगाया है.

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Sunil Mishra
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Digvijay Singh

'शिवराज के क्षेत्र में चिटफंड कंपनी ने आदिवासियों के 4.5 करोड़ हड़पे'( Photo Credit : File Photo)

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में आदिवासियों के साढ़े चार करोड़ रुपए एक चिटफंड कंपनी द्वारा हड़पने का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इसमें भाजपा के लोगों की दलाल की भूमिका रही है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है, "वे पिछले दिनों सीहोर जिले के नसरुल्लागंज विकासखंड के आमला पानी गांव गए थे, जो पंचायत कोटवानी में आता है. यहां एक आदिवासियों का मजरा टोला है. यहां के आदिवासियों ने बताया है कि उन्हें एक चिटफंड कंपनी ने खुद को बैंक बताते हुए छह साल में रकम दोगुना करने का भरोसा दिलाया था.

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इस पर इन बारेला समुदाय के आदिवासियों ने लगभग साढ़े चार करोड़ रुपए कंपनी के एजेंट को सौंप दिए. छह साल गुजरने के बाद जब इन आदिवासियों ने कंपनी से रकम मांगी तो कंपनी ने दोगुनी रकम देने से इंकार कर दिया.

दिग्विजय सिंह का आरोप है कि इस सारे काम में भाजपा के दलाल सक्रिय रहे हैं, आदिवासियों को गुमराह किया गया है और उन्होंने ही हरदा से चिटफंड कंपनी का कार्यालय नसरुल्लागंज खुलवाया था और यह कंपनी रकम लेकर चंपत हो गई है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा है कि इन आदिवासियों की जमीन घोगरा बांध में डूब गई थी और इनको दो लाख प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया गया था. कांग्रेस के शासनकाल में इन आदिवासियों को जमीन के बदले जमीन भी दिए जाने का प्रावधान था, मगर ऐसा नहीं हुआ. इन आदिवासियों को जो जमीन डूब के बदले रकम मिली थी उसे एक चिटफंड कंपनी हड़प गई है.

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दिग्विजय सिंह का आरोप है कि वर्ष 2018 में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए कंपनी द्वारा ठगे गए आदिवासियों की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होने दी बल्कि शिकायतकर्ता के मुखिया को ही आठ दिन के लिए जेल भेज दिया था.

Source : IANS

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