ग्वालियर के नाम पर छिड़ी सियासी तकरार, सिंधिया ने कांग्रेस पर अपने अंदाज में बोला हमला
झांसी की रानी महारानी लक्ष्मी बाई की शहादत ग्वालियर में हुई थी. 18 जून को महारानी के बलिदान दिवस के मौके पर ग्वालियर को कांग्रेस कार्यकतार्ओं ने ग्वालियर का नाम महारानी लक्ष्मी बाई के नाम पर रखने की मांग की.
ग्वालियर :
कहते है कि नाम में क्या रखा है, लेकिन राजनीति में नाम पर ही खेल चलता है. मध्य प्रदेश में भी नाम पर तकरार हो रही है. पहले इंदौर का नाम बदलने की मांग उठी फिर कई स्थानों के नाम पर सवाल उठे. अब तो ग्वालियर का नाम बदलने पर सियासी तकरार ने जोर पकड़ लिया है. झांसी की रानी महारानी लक्ष्मी बाई की शहादत ग्वालियर में हुई थी. 18 जून को महारानी के बलिदान दिवस के मौके पर ग्वालियर को कांग्रेस कार्यकतार्ओं ने ग्वालियर का नाम महारानी लक्ष्मी बाई के नाम पर रखने की मांग की.
इसके साथ ही पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने कहा पाठ्यक्रम में रानी लक्ष्मीबाई से जुड़े इतिहास के कुछ और तथ्यों को शामिल किया जाना चाहिए. साथ ही नई पीढ़ी को यह भी बताना चाहिए कि रानी लक्ष्मीबाई के साथ षड्यंत्र करने वाले कौन थे. ग्वालियर शहर का नाम बदलने के साथ ही इंदौर शहर का नाम भी देवी अहिल्या बाई नगर रखा जाना चाहिए. कांग्रेस इसका प्रस्ताव राज्य शासन को भेजेगी.
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कंग्रेस द्वारा ग्वालियर का नाम बदलने की मांग का मामला सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधि और भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने आया. पत्रकारों ने जब उनसे कांग्रेस की मांग को लेकर सवाल किया तो सिंधिया ने कांग्रेस पर अपने ही अंदाज में हमला बोला और कहा, '' अब नाम बदलने में इतनी ही रुचि है तो कांग्रेस को चाहिए कि पहले वे अपनी पार्टी का नाम बदल लें और दोबारा से जनता के मन व दिल में स्थान बनाएं.''
कोरोना काल में कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए सिंधिया ने कहा, '' कोरोना जैसी महामारी के समय कांग्रेस नेताओं को राजनीति दिखाई दे रही है. पहले बोले कि वैक्सीन (टीके) नहीं लगवाना, फिर कहा गया कि वैक्सीन में किसी का मांस मिला हुआ है और ऐसे लोग ही स्वयं वैक्सीन लगवाने के लिए भाग रहे हैं.''
राज्य में स्थानों का नाम बदलने की सियासत अरसे से चल रही है. शिवराज सरकार होशंगाबाद का नाम 'नर्मदापुरम' करने की घोषणा कर चुकी है, इसका प्रस्ताव केंद्र में लंबित है. इसके अलावा भोपाल के लिए 'ईदगाह हिल्स' का नाम बदलकर 'गुरु नानक टेकरी' रखने की मांग उठ चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने हलाली डेम का नाम बदले जाने की मांग कर चुकी है. भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने तो भोपाल के इस्लाम नगर, लालघाटी, हलाली डैम और हलालपुरा बस स्टैंड के नाम बदलने की मांग उठाई थी. अब ग्वालियर के साथ ही इंदौर का भी नाम बदलने की मांग ने जोर पकड़ा, जिस पर सियासत गर्मा रही है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुछ लोग अपने को चचार्ओं में रखना चाहते है. इसके चलते वे नाम बदलने की मांग गाहे बगाहे उठाते रहते है. राज्य में आमजन कई समस्याओं से जूझ रहा है. कोरोना महामारी ने तबाही मचाई, अब वैक्सीनेशन का अभियान चल रहा है. दूसरी तरफ महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्या बढ़ी है, मगर राजनेताओं का इन पर ध्यान न होकर षहरों का नाम बदलने पर होना, उनके राजनीतिक नजरिये पर सवाल उठाता है.
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