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भोपाल के 'कचरे की खंती' को मिलेगी पर्यटन स्थल की पहचान

नगर निगम भोपाल ने इस कचरे को पहाड़ पर्यटन स्थल में बदलने का अभियान छेड़ा है. 'भानपुर की खंती' वह इलाका है जहां भोपाल का कचरा फेंका जाता रहा है.

Updated on: 17 Jun 2021, 02:44 PM

highlights

  • पिछले 48 वर्षों से यहां कचरे का पहाड़ बढता जा रहा था
  • इसके आस-पास रहने वाले लोग बदबू के कारण नारकीय जीवन जी रहे थे
  • भानपुर खंती में वर्ष 1970 से भोपाल शहर का कचरा जमा हो रहा था

भोपाल:

मध्य प्रदेश की राजधानी की भानपुर खंती का जिक्र आते ही लोगों के सामने विशालकाय कचरे के ढेर की तस्वीर सामने उभर आती है, मगर अब इस की तस्वीर बदल रही है, इसे आने वाले दिनों में पर्यटन स्थल के तौर पर पहचाना जाएगा. नगर निगम भोपाल ने इस कचरे को पहाड़ पर्यटन स्थल में बदलने का अभियान छेड़ा है. 'भानपुर की खंती' वह इलाका है जहां भोपाल का कचरा फेंका जाता रहा है. पिछले 48 वर्षों से यहां कचरे का पहाड़ बढता जा रहा था. इस जगह से गुजरने वाले सैकड़ों वाहन सवार अक्सर अपनी गाड़ियों के शीशे बंद कर लेते थे, वहीं इसके आस-पास रहने वाले लोग बदबू के कारण नारकीय जीवन जी रहे थे. इस स्थान की तस्वीर बदलने की कवायद वर्ष 2018 में तब शुरु हुई जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड (एनजीटी) ने आदेश दिया था. उसके बाद जिला प्रशासन के साथ नगर-निगम के वृहद अमले के साथ इस कचरे के ढ़ेर को हटाने की कार्रवाई शुरू हो गई. भानपुर खंती में वर्ष 1970 से भोपाल शहर का कचरा जमा हो रहा था, इसका नतीजा यह हुआ कि लगभग 36 एकड़ भूमि पर कचरे का पहाड़ ही पहाड़ दिखता था. अब नगर निगम और जिला प्रशासन इस खंती को नई पहचान पिकनिक स्पॉट के रुप में देने जा रहा है.

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बताया गया है कि इस खंती की लगभग 21 एकड़ से ज्यादा भूमि को पूरे कचरे के ढेर से मुक्त कराया गया है. नगर निगम द्वारा इस खंती के कचरा निष्पादन के लिये सौराष्ट्र एवं एनवायरो प्रोजेक्ट प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी को काम सौंपा गया. करीब 3 वर्ष बाद कंपनी ने भानुपर खंती से कचरे के पहाड़ को पूरी तरह से हटा दिया है और यहां नगर निगम द्वारा सौंदर्यीकरण का कार्य प्रारंभ किया गया है. जल्द ही इसे नया रूप देकर शहर को एक नई पहचान मिलेगी. भोपाल नगर निगम द्वारा फिलहाल सौंदंर्यीकरण के लिये कचरे के अवशेष से बनाये गये 27 मीटर ऊँचे पहाड़ पर मिट्टी डालकर घास लगाई जा रही है और पार्क का निर्माण भी कराया जा रहा है. नगर निगम द्वारा 16 एकड़ भूमि पर बनाये जा रहे 27 मीटर ऊँचाई के पहाड़ को एक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है.