Bhopal News: भोपाल में गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर एक ऐसा अनोखा संग्रह सामने आया है जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. यह संग्रह किसी आम व्यक्ति का नहीं बल्कि सेवानिवृत्त प्रधान जिला न्यायाधीश उमेश कुमार गुप्ता का है, जिन्होंने 30 सालों की मेहनत से 1500 से अधिक गणेश प्रतिमाएं और करीब 10,000 शादी के कार्डों पर छपे गणेश चित्र इकट्ठा किए हैं.
शादी के कार्ड से शुरू हुआ सफर
उमेश गुप्ता बताते हैं कि इस संग्रह की शुरुआत शादी के कार्डों से हुई. अक्सर शादी के बाद कार्ड बेकार हो जाते हैं या कचरे में फेंक दिए जाते हैं, लेकिन उन्हें लगा कि यह भगवान गणेश का अपमान है. तभी से उन्होंने कार्डों पर छपे गणेश चित्रों को सहेजना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे यह जुनून बढ़ता गया और आज उनके पास 10,000 से ज्यादा ऐसे कार्ड हैं.
कबाड़ से बने गणपति भी खास
गणेश प्रतिमाओं के इस संग्रह मेंकबाड़सेबनेगणेशजीभीशामिलहैं. टंकीकेवाल्व, तालेकीचाबी, रबरबैंडऔरपुरानेधातुकेटुकड़ोंसेबनीप्रतिमाएंइसबातकाउदाहरणहैंकिआस्थाऔरकलाकामेलकैसेअनोखेरूपमेंसामने आ सकताहै. इसकेअलावाधानकेदानोंसेबनाईप्रतिमाभीसंग्रहकाआकर्षणहै, जिसेतैयारकरनेमेंकलाकारको 15 से 20 दिनकासमयलगा.
विदेशों से लाए गए गणेश स्वरूप
इस संग्रह की एक और बड़ी खासियत है कि यहां विदेशों से लाए गए गणपति. बाली, कंबोडिया, थाईलैंड, नेपाल, श्रीलंका और अंडमान-निकोबार से लाई गई प्रतिमाएं विराजमान हैं. बाली गणपति का शेरमुख स्वरूप और नेपाल के चार हाथ वाले गणेश जी लोगों को आकर्षित करते हैं. श्रीलंका की चीनी मिट्टी से बनी प्रतिमा और सिक्किम से लाई गई मुखौटे भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं.
कला और भक्ति का संगम
इस संग्रह में राजस्थान के झरोखों में विराजमान गणेश जी, कोलकाता की दुर्गा शैली वाली प्रतिमाएं और बांस से बने सजावटी गणेश स्वरूप भी शामिल हैं. छोटे-छोटे पीस पर की गई बारीक कलाकारी यह साबित करती है कि कलाकारों ने भक्ति और कला को एकसाथ जोड़ने का प्रयास किया है.
आस्था का संदेश
गणेश चतुर्थी के मौके पर सामने आया यह संग्रह केवल प्रतिमाओं का समूह नहीं, बल्कि आस्था और इच्छाशक्ति का प्रतीक है. उमेश गुप्ता कहते हैं कि गणेश जी के 32 स्वरूप और अनेकों नाम हैं, और यही कारण है कि लोग उन्हें अलग-अलग रूपों में पूजते हैं. उनका मानना है कि जब हम आस्था को सहेजते हैं, तो वह आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करती है.
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