Jharkhand News: 75 साल बाद भी विकास का इंतजार, पानी, सड़क, बिजली के लिए तरस रहा गांव
देश के आजादी के 75 साल बाद भी साहिबगंज का अम्बाडीहा दमगीटोला गांव में जरूरी सुविधा तक नहीं है. लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी और चलने के लिए सड़क तक नहीं है. आजादी के 75 सालों के बाद भी गांव के लोग गांव के विकास के लिए इंतजार कर रहे हैं.
highlights
- 75 साल बाद भी गांव में विकास का इंतजार
- पानी, सड़क, बिजली के लिए तरस रहा गांव
- ग्रामीणों की गुहार... सुन लो सरकार
- देश में बहुत कुछ बदला...ये गांव कब बदलेगा
Sahibganj:
देश के आजादी के 75 साल बाद भी साहिबगंज का अम्बाडीहा दमगीटोला गांव में जरूरी सुविधा तक नहीं है. लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी और चलने के लिए सड़क तक नहीं है. आजादी के 75 सालों के बाद भी गांव के लोग गांव के विकास के लिए इंतजार कर रहे हैं. देश ने आजादी का अमृत महोत्सव भी मना लिया, लेकिन आज भी देश में रह रहे लाखों लोग ऐसे हैं जो एक घूंट साफ पानी के लिए भी तरस रहे हैं. सरकार सैकड़ों वादे करती है. इन 75 सालों में देश में बहुत कुछ बदला, लेकिन इन बदलाव के बाद भी लाखों गरीबों के लिए शुद्ध पानी और आने जाने के लिए सड़क मुहैया नहीं हो सका. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह विधान सभा क्षेत्र में आनेवाली साहिबगंज के प्राकृतिक की गोद में बसे राजमहल के सैकड़ों परिवार आज भी पानी और पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं. मजबूरी ऐसी की लोग झरने वाला पानी पीने और ईंट पत्थर वाले रोड़ पर चलने को मजबूर हैं.
राजनेता भुले वादे
आजादी के 75 साल के बाद भी लोग विकास की राह देख रहे हैं, लेकिन विकास के इंतजार में बैठे लोगों पर और विकास से कोसों दूर इस गांव पर अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी है. अम्बाडीहा दमगीटोला गांव में आज भी पानी और सड़क जैसी जरूरी सुविधा तक नहीं है. लोगों ने NEWS STATE की माइक पर विधायक लोबिन हेम्ब्रम और सांसद विजय हांस के चुनावी वादे का पोल खोल दी. चुनाव के समय में सत्ता पर काबीज होने के लिए हर राजनीतिक पार्टियां गांव के विकास की लाखों दावे करती हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही राजनेता अपने वादे भुल जाते हैं. राज्य की सत्ता पर विराजमान कई राजनीतिक दलों के मुख्यमंत्री की तकदीर और तस्वीर जरूर बदली है, लेकिन किसी ने भी इस गांव की तकदीर और तस्वीर को नहीं बदल पाया है. जिसकी गवाही आज भी प्राकृती की गोद मे बसे राजमहल चीख चीख कर दे रही है.
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हालात जस के तस
झारखंड को बिहार से अलग हुए भी करीब करीब 25 साल होने को है. उसके बाद भी इस गांव में रह रहे सैकड़ों आदिवासी लोग विकास का इंतजार कर रहे हैं. लाखों वादे के बाद आज भी इस गांव की हालत जस की तस है. यहां तक कि लोग ढिबरी युग की तरह लालटेन के सहारे जिंदगी यापन करने को भी मजबूर हैं. लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी और आने जाने के लिए सड़क तक नसीब नहीं है. वहीं, गांव में रह रहे करीब 800 आदिवासी समुदाय के लोगों का कहना है कि हम लोग आजादी के बाद से यही उम्मीद और विश्वास के साथ जी रहें कि आज नहीं तो कल हमारा विकास जरूर होगा, लेकिन चिंता की बात यह है कि आज तक धरातल पर विकास नहीं हो पाया है.
रिपोर्ट : गोविन्द ठाकुर
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