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आदिवासी परिवार को बैंक शाखा से मिला झटका, खाते से गायब हुए 3 लाख

इंसान मेहनत से कमाता है और उसे सुरक्षित रखने के लिए उन पैसों को बैंक में जमा कर देता है, लेकिन अगर यहां से भी आपके पैसे गायब हो जाए तो फिर चेहरे पर चिंता की लकीरें आना स्वभाविक है.

Updated on: 24 Jan 2023, 02:26 PM

highlights

  • आदिवासी को बैंक से मिला झटका
  • मेहनत से कमाए गए पैसे खाते से गायब
  • 3 लाख रुपये की खाते से हेराफेरी
  • बैंक प्रबंधन की भूमिका पर उठे सवाल

Latehar:

इंसान मेहनत से कमाता है और उसे सुरक्षित रखने के लिए उन पैसों को बैंक में जमा कर देता है, लेकिन अगर यहां से भी आपके पैसे गायब हो जाए तो फिर चेहरे पर चिंता की लकीरें आना स्वभाविक है. लातेहार से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिससे एक आदिवासी परिवार की नींद उड़ी हुई है. दरअसल, एक सरकारी बैंक शाखा से एक खाताधारक के खाते से तीन लाख रुपये गायब हो गए हैं. लिहाजा पिछले कई महीने से परिवार बैंक के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन अबतक पैसे का भुगतान नहीं हुआ है. जिले के गारू प्रखंड में संचालित बैंक शाखा हमेशा से ही अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चा में रहा है. कभी बिचौलियों को लेकर तो कभी खाताधारक से गलत तरीके से फर्जी हस्ताक्षर कर रुपये की निकासी करने जैसा मामला यहां आम बात है. 

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शाखा कार्यशैली पर उठे सवाल

एक बार फिर बैंक शाखा अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चा में है. दरअसल, गारू प्रखंड के कोटाम पंचायत निवासी रोहित उरांव ने बैंक पर ठग्गी करने का आरोप लगाया है. बता दें कि मार्च 2022 में उनके पिता अर्जुन उरांव ने केरल में 3 साल मजदूर कर खाता में 3 लाख रुपये भेजे थे, जबकि 36000 हजार रुपये पहले से ही खाते में जमा थी. जब वह उक्त राशि निकालने के लिए शाखा पहुंचे तो सीएसपी खाता से इतनी राशि निकासी नहीं होने का हवाला देकर शाखा प्रबंधक के द्वारा बैंक में नया खाता खुलवाने पर पैसा खाता में भेजने की बात कही गई. खाता खुलवाने के कई महीने बीत जाने के बाद भी उक्त राशि रोहित उरांव के खाता में नहीं आ सका. जिससे पूरा परिवार परेशान हैं. 

बैंक खाते से 3 लाख रुपये हुए गायब

रोहित उरांव ने बताया कि नया खाता खुलवाने के बाद मात्र 36000 हजार रुपये ही खाते में आया है. बाकी के 3 लाख रुपये का अबतक भुगतान नहीं हो पाया है और शाखा प्रबंधक के द्वारा अब खाता में पैसे नहीं है कहकर बैंक से भगा दिया जाता है. जिससे पूरा परिवार रोने को विवश है.

बेटी की शादी के लिए लेना पड़ा लोन

इधर इस संबंध में रोहित की मां मुनिया देवी ने बताया क़ि रोहित के पिता बाहर मजदूरी करते हैं. घर ख़र्च के लिए उन्होंने 3 साल की कमाई लगभग 3 लाख रुपये भेजे थे, जबकि खाता में पहले से 36 हजार रुपये मौजूद था. तमाम कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बावजूद भी उक्त राशि का भुगतान अबतक नहीं हो सका है. बैंक जाने पर शाखा प्रबंधक के द्वारा खाते में पैसा नहीं होने का हवाला देते हुए पासबुक फेंककर हमलोगों को बैंक से भगा दिया जाता है. मुनिया देवी ने बताया कि हमलोग काफी गरीब है. किसी तरह खेती किसानी और मजदूरी करके भरण पोषण कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बैंक से पैसे नहीं निकलने के कारण बेटी के विवाह के लिए लोन लेना पड़ा है.

आदिवासी परिवार को कब मिलेगा न्याय

सबूत के तौर पर बैंक के द्वारा रोहित को प्राप्त हुआ स्टेटमेंट है. बाद में होल्ड डिलीट तो जरूर हुआ, लेकिन कई महीने बीत जाने के बावजूद भी पैसा रोहित के खाते में नहीं आ सका. ऐसे में इस केस में बैंक प्रबंधन की भूमिका पर भी सवाल उठना लाजमी है.