झारखंड कैबिनेट से ट्रांसजेंडरों को ओबीसी के आरक्षण विगत दिनों पास किया गया है. जिसे लेकर ट्रांसजेंडरों ने इसे स्वागत योग कदम बताया है, लेकिन इसे लेकर कई प्रकार की त्रुटियां खामियां भी इन ट्रांसजेंडर के सामने आ खड़ी हुई है. इन्हीं विषयों को लेकर रांची नगर निगम के नगर आयुक्त से ट्रांसजेंडरों की एक समूह भेंट करने आई हुई थी. उनके समर्थन में समाजसेवी भी रही. ओबीसी में आरक्षण को दिए जाने को लेकर ट्रांसजेंडर का कहना है कि इस दिए गए आरक्षण को लेकर ट्रांसजेंडरों का वैसा समूह जो पढ़ा लिखा है, इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि ओबीसी में आरक्षण मिलने से हमारे ट्रांसजेंडरों के समूह को विशेष लाभ नहीं मिल पाएगा. हमारे अपने अस्तित्व के लिए सरकार की ओर से क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए.
ट्रांसजेंडरों को ओबीसी में किया गया शामिल
वहीं, उनके समर्थन में आई समाजसेवी का कहना है कि ट्रांसजेंडर सभी जातियों से आते हैं. इन्हें विकलांग कोटा के तर्ज पर ट्रांसजेंडरों का अलग आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए. सबसे पहले ट्रांसजेंडरों के लिए मेडिकल बोर्ड की व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि अभी तक का गठन नहीं हो पाया है. कोई भी अपने आप को ट्रांसजेंडर साबित कर देगा.
मंदिर कमेटी पर सियासी 'रण'
वहीं, बता दें कि रांची में झारखंड राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने कई मंदिरों को नोटिस भेजा है. रांची के पहाड़ी मंदिर, मेन रोड रांची का बजरंगबली मंदिर, इटखोरी का भद्रकाली मंदिर सहित राज्य के लगभग 15 प्रबंधन कमेटी को भंग करने का नोटिस भेजा गया है. इसके अलावे बंशीधर मंदिर गढ़वा, देउरी मंदिर तमाड़, कमरे आश्रम सहित कई प्रबंध समिति को नोटिस भेज कर प्रबंधन से जुड़ा डिटेल मांगा गया है. नोटिस भेजने के बाद कुछ मंदिरों की नई कमेटी बन भी गई, लेकिन अब न्यास बोर्ड के इस फैसले पर सियासत होने लगी है. जहां बीजेपी का कहना है कि न्यास बोर्ड का ये फैसला एक तरफा है. आखिर क्या है न्यास बोर्ड के इस फैसले की वजह और क्यों इसपर सियासत हो रही है.
HIGHLIGHTS
- ट्रांसजेंडरों को ओबीसी में किया गया शामिल
- झारखंड कैबिनेट ने पास किया था प्रस्ताव
- ट्रांसजेंडरों ने किया फैसले का स्वागत
Source : News State Bihar Jharkhand