लातेहार में शिक्षा का अलख जगा रहा ये युवक, 100 से अधिक आदिवासी बच्चों को दिखाई राह
स्कूल में पढ़ने वाले लगभग 100 से अधिक आदिवासी बच्चों को गांव के ही रोहित उरांव मुफ़्त में शिक्षा दे रहे है. जिसका मतलब ये है कि उन्हें विभाग या किसी अन्य माध्यम से सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई पैसा नहीं मिलता है.
highlights
- सरकारी स्कूल में सैकड़ों बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं रोहित
- 100 से अधिक आदिवासी बच्चों को पढ़ा रहे हैं रोहित
- रोहित ने गरीबी के कारण इंटर के बाद नहीं की पढ़ाई
Latehar:
झारखंड के कई इलाकों में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कई खबरें सामने आई है. लेकिन अब लातेहार के घोर नक्सल प्रभावित इलाके से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने ये बता दिया है कि अगर इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता है. गांव का ही एक युवक शिक्षा की अलख जगा रहा है. सेवा भाव से गांव का ही एक युवक सरकारी स्कूल में सैकड़ों बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं. रुद गांव में संचालित राजकीयकृत मध्य विद्यालय के बारे में अगर आप प्रखंड के किसी भी लोग से पूछेंगे तो रोहित उरांव की कहानी सभी की जुबान पर है.
बच्चों को मुफ्त में दे रहे शिक्षा
स्कूल में पढ़ने वाले लगभग 100 से अधिक आदिवासी बच्चों को गांव के ही रोहित उरांव मुफ़्त में शिक्षा दे रहे है. जिसका मतलब ये है कि उन्हें विभाग या किसी अन्य माध्यम से सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई पैसा नहीं मिलता है. बावजूद इसके रोहित उरांव लगभग 1 साल से रोजाना स्कूल आते हैं और सैकड़ों आदिवासी बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.
गरीबी के कारण इंटर के बाद नहीं की पढ़ाई
नक्सल प्रभावित इस गांव में कई युवा पहले भी राह भटक चुके हैं लेकिन रोहित के मन में कभी भी इस तरह का ख्याल नहीं आया. नक्सलवाद से दूरी बनाकर समाज की विचारधारा में चलते हुए शिक्षा की अलख जगाने की कोशिश कर रहे हैं. रोहित उरांव मूल रूप से रुद गांव के ही रहने वाले हैं. रोहित के घर की माली हालत ठीक नहीं है. काफी गरीब परिवार से रोहित उरांव हैं. जिस कारण रोहित ने इंटर की पढ़ाई पूरी कर आगे की पढ़ाई पर विराम लगा दिया. लेकिन पढ़ने और पढ़ाने की जो ललक रोहित के अंदर थी, उसे रोहित ने जिंदा रखा और अब वह गांव के ही सरकारी स्कूल में आदिवासी बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं. सरकारी स्कूल में पढ़ाने के बदले कोई भी सरकारी मदद रोहित को नहीं मिलता. लेकिन स्कूल की टीचर की तरफ से पर्व त्योहार में खर्च के तौर पर थोड़ी मदद मिल जाती है और इन्हीं पैसों से रोहित अपना और घर का खर्च चला लेते हैं.
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100 से अधिक बच्चों को पढ़ाते हैं रोहित
रोहित उरांव के इस कदम से गांव के लोग और स्कूली बच्चों में भी काफी उत्साह है. गांव के लोग रोहित के कार्य की सराहना करते नहीं थकते हैं. स्कूली बच्चे कहते हैं कि इस स्कूल में 100 से अधिक बच्चों के बीच सिर्फ एक शिक्षिका हैं. जिससे बच्चों को पढ़ाई में काफी दिक्कतें होती थी लेकिन जबसे रोहित सर ने पढ़ाना शुरू किया है, तब से काफी सहूलियत होने लगी है.
प्रशासन से रोहित को मदद की है आस
आपको बता दें कि, शिक्षा के मामले में गारू प्रखंड का रूद गांव काफी विकसित नहीं है. ऊपर से नक्सल प्रभावित इलाका है लेकिन रोहित उरांव जैसे युवाक की पहल से शिक्षा की अलख यहां जग रही है. गांव के बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर उनका भविष्य बेहतर गढ़ने में रोहित के पहल की जितनी तारीफ की जाये वो कम है. फिलहाल रोहित उरांव को जिला प्रशासन से थोड़ी सी मदद की आस है. ताकि बच्चों को शिक्षा देने का जो जज्बा उनके अंदर है. उसको और भी ज्यादा बल मिल सकें.
रिपोर्ट - गोपी सिंह
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