अस्पताल में उपचार के लिए नहीं है डॉक्टर, ग्रामीण झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर
सरकार ने स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य भवन का निर्माण तो करा दिया पर उस नव निर्मित भवनों में आज तक डॉक्टरों की पोस्टिंग नहीं हुई जिस कारण आज भी ग्रामीण झोलाछाप डॉक्टरों के सहारे हैं.
highlights
- नव निर्मित भवनों में आज तक डॉक्टरों की नहीं हुई पोस्टिंग
- फार्मासिस्ट ही मरीजों को दे रहे हैं दवा
- मरीजों को जिला अस्पताल का अपनाना पड़ता है रुख
Palamu:
राज्य में एक तरफ जहां अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी तरफ चिकित्सकों की संख्या घटती जा रही है. जिसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है. खास कर उन ग्रामीण क्षेत्र में सरकार ने स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य भवन का निर्माण तो करा दिया पर उस नव निर्मित भवनों में आज तक डॉक्टरों की पोस्टिंग नहीं हुई जिस कारण आज भी ग्रामीण झोलाछाप डॉक्टरों के सहारे हैं. अरसे से डॉक्टर ना होने के कारण यहां फार्मासिस्ट ही मरीजों को दवा दे रहे हैं.
लाखों का भवन तो खड़ा है लेकिन उपचार के लिए चिकित्सक नहीं
राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो इसके लिए सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उप केंद्र जैसे कई भवन बनाए गए और खोला भी गया. विभाग के द्वारा आउटसोर्सिंग एवं पारा कर्मियों की बहाली भी की गई. जिसको लेकर ग्रामीण भी काफी उत्साहित थे, लेकिन धीरे-धीरे यहां सुविधाओं का टोटा होता गया. आज केंद्र पर फार्मासिस्ट के अलावा कोई स्टाफ नहीं होने से ग्रामीण फार्मासिस्ट से ही दवा लेकर चले जाते हैं. ग्रामीणों ने केंद्रों पर हो रही असुविधाओं को लेकर विभाग से लेकर आला अफसरों तक से केंद्र पर डॉक्टरों की तैनाती की मांग की लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई, अब आलम यह है कि लाखों का भवन तो खड़ा है लेकिन उपचार के लिए यहां कोई भी चिकित्सक नहीं है.
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जिला अस्पताल का रुख पड़ता है अपनाना
स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों के नहीं होने से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. फार्मासिस्ट के द्वारा जुकाम और बुखार की दवा तो दे दिया जाता है लेकिन गंभीर मरीजों को आज भी जिला अस्पताल का ही रुख अपनाना पड़ता है. आपको बताते चले कि जिला में 171 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जिसमें 171 पद स्वीकृत है जिसके विरुद्ध मात्र 84 कार्यरत हैं. वहीं, अगर चिकित्सा पदाधिकारी और विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारीयों की बात करे तो कुल स्वीकृत 195 पदों के विरुद्ध वर्तमान में मात्र 69 कार्यरत हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था का क्या आलम रहा होगा.
जल्द ही सभी स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टरों की होगी तैनाती
वहीं, जिले के सिविल सर्जन का कहना है कि जिले में डॉक्टरों की कमी तो है, हालांकि सिविल सर्जन का कहना है कि ग्रामीण स्तर पर उप स्वास्थ्य केंद्र सरकार के द्वारा सीएचओ की बहाली की गई है. जिसकी ट्रेनिंग चल रही है जल्द ही सभी स्वास्थ्य केंद्र पर सभी को तैनात किया जाएगा.वहीं, अगर प्रखंड में स्वास्थ्य उपकेंद्र बंद मिलते हैं या फिर कार्य के प्रति लापरवाही बरती गई तो इनके विरुद्ध कार्रवाई भी की जाएगी.
रिपोर्ट - श्रवण पांडेय
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