आजादी के 78 वर्ष बाद भी नहीं बनी सड़क, मरीज को खाट पर लादकर अस्पताल ले जाने को मजबूर लोग

ग्रामीणों का कहना है कि चाहे गर्भवती महिला हो या फिर गंभीर रूप से घायल मरीज या फिर बीमारी में तड़पता मरीज हो सभी को गांव के लोग खाट के सहारे बनी डोली पर लादकर ही कई किलोमीटर की दूरी को पैदल तय करके सदर अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि चाहे गर्भवती महिला हो या फिर गंभीर रूप से घायल मरीज या फिर बीमारी में तड़पता मरीज हो सभी को गांव के लोग खाट के सहारे बनी डोली पर लादकर ही कई किलोमीटर की दूरी को पैदल तय करके सदर अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं.

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Rashmi Rani
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महीला मरीज( Photo Credit : NewsState BiharJharkhand)

झारखंड में आज भी लोगों को अस्पताल जाने के लिए लंबी दुरी तय करनी पड़ती है. ऐसे में कई लोगों की मौत रास्ते में ही हो जाती है. कुछ ऐसा ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह विधानसभा क्षेत्र में आनेवाली साहिबगंज जिले में केंद्र सरकार की पोल खुलती हुई नजर आ रही है. जिसका खामियाजा साहिबगंज के लोगों को झेलना पड़ रहा है. जिले से दिल को कचोड़ने वाली एक तस्वीर सामने आई है. जिसने सभी को हैरान कर दिया है साथ ही ये भी बता दिया है कि आज भी झारखंड विकास से कितना पीछे है. 

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सदर अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं लोग 

दरअसल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह विधानसभा क्षेत्र में एक गर्भवती महिला दर्द से तड़पती हुई नजर आई, लेकिन उसे अस्पताल नसीब भी नहीं हुआ. ग्रामीणों का कहना है कि चाहे गर्भवती महिला हो या फिर गंभीर रूप से घायल मरीज या फिर बीमारी में तड़पता मरीज हो सभी को गांव के लोग खाट के सहारे बनी डोली पर लादकर ही कई किलोमीटर की दूरी को पैदल तय करके सदर अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं. दिल को कचोड़ने वाली ये तस्वीर साहिबगंज जिले के बरहेट प्रखंड पर स्तिथ फुलभंगा गांव की है।.

खाट पर लादकर मरीज को ले जाया जाता है अस्पताल 

वहीं, फुलभंगा गांव में निवास करने वाले गंगू पहाड़िया की पत्नी अनीता पहाड़ीन गर्भवती थी. जिसे प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद उसे परिजनों खाट पर लादकर चार कंधों के सहारे कई किलोमीटर की दूरी को तय कर पैदल अस्पताल ले गये. रास्ते में जिसने भी इस दिल को कचोड़ने वाले नजारा को देखा तो उनका हृदय कांप गया. बताया जा रहा है कि गर्भवती अनीता पहाड़ीन को एंबुलेंस ना मिलने के बाद उसे खाट में लादकर अस्पताल लाया गया. जिसके बाद महिला का फौरन इलाज किया गया. वहीं, परिजनों ने बताया कि दर्द से तड़पती गर्भवती महिला की घर में ही डिलीवरी हो गई थी. जिसके बाद मासूम बच्चे की भी मौत हो गई, लेकिन उसके बाद महिला की हालत बिगड़ने लग गई. जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया.  

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पहाड़ी रास्ता होने के कारण नहीं पहुंच पाती है एंबुलेंस 

वहीं, जब पूरे मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉ रामदेव पासवान से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि स्टेडियम के पास से ठीक पहाड़ शुरू होता है और गर्भवती महिला को गांव से पहाड़ के रास्ते से लेकर उतारा गया. पहाड़ी रास्ता होने के कारण एंबुलेंस जाने में बहुत परेशानी होती है. उन्होंने ये भी कहा कि जब भी हमे पहले से जानकारी मिल जाती है तो रास्ते में एंबुलेंस को रखवा दिया जाता है ताकि मरीज को लाने में कम परेशानी हो, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में मोबाइल का टावर नहीं रहने के कारण भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी लोग फोन भी करते हैं तो संपर्क नहीं हो पाता है. 

HIGHLIGHTS

  • कई किलोमीटर की दूरी तय कर सदर अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं लोग 
  • खाट पर लादकर मरीज को ले जाया जाता है अस्पताल 
  • डॉ. ने कहा पहाड़ी रास्ता होने के कारण नहीं पहुंच पाती है एंबुलेंस 

Source : News State Bihar Jharkhand

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