राजा ने बनवाया था इस स्वास्थ्य केंद्र को, आज लोगों को अंदर जाने में भी लगता है डर, जानिए वजह

स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उपस्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किए गए हैं, लकिन इनका संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है. कई स्थानों पर तो उपस्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़े हैं और भवन खण्डर बन गए हैं.

स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उपस्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किए गए हैं, लकिन इनका संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है. कई स्थानों पर तो उपस्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़े हैं और भवन खण्डर बन गए हैं.

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Rashmi Rani
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स्वास्थ्य केंद्र( Photo Credit : NewsState BiharJharkhand)

स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उपस्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किए गए हैं, लकिन इनका संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है. कई स्थानों पर तो उपस्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़े हैं और भवन खण्डर बन गए हैं. ऐसे में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं और शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की योजना तो बना ली लेकिन उनके संचालन की व्यवस्थाएं नहीं हो पाई ऐसे में शासन की मनसा पूरी नहीं हो पा रही है. जिसका दंश सरायकेला खरसांवा का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र झेल रहा है .

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खरसांवा के राजा ने किया था स्थापित 

खपरैल के इस मकान को देख यही लग रहा होगा कि कई वर्षों से इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खरसांवा के विधानसभा का है जो वर्षों पुराना है और इस स्वास्थ्य केंद्र को खरसांवा के राजा स्वर्गीय प्रदीप चंद्र सिंहदेव ने स्थापित किया था. जब खरसांवा में राज दरबार और राजघराना हुआ करता था. उस उक्त राजा सिंहदेव ने अपनी जमीन देकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरकार को सौंप दिया था कि सरकार इस स्वस्थ केंद्र की देख रेख कर चलाएगी और खरसांवा के  ग्रामीणों का इलाज हो. 

केंद्र की शुरुआत 30 बेड से हुई थी

इस स्वस्थ केंद्र की शुरुआत 30 बेड से किया गया था. समय बदला अधिकारी बदले जिस राजा ने जमीन पर स्वस्थ केंद्र खोला था. अब वह राजा भी स्वर्गीय हो गए लेकिन नहीं बदली तो स्वस्थ केंद्र की सूरत जहां आज भी खपरैल के ही छत के नीचे ओपीड , ड्रेसिंग रूम, इमरजेंसी, जैसे कई बीमारियों का उपचार इस केंद्र में होता है. इस स्वस्थ केंद्र में काम करने वाले डॉक्टर या स्टाफ का कहना हैं कि स्वास्थ केंद्र में बैठने तक की जगह नहीं है. लोगों को भवन में आने में डर लगता हैं. इतना ही नहीं इलाज करने वाले डॉक्टर भी खुद मरीजों का इलाज बाहर बैठकर ही करते हैं.

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बदहाल स्थिति में है स्वास्थ्य केन्द्र

यह स्वस्थ केंद्र में ज्यादातर ग्रामीण मरीज ही अपना इलाज कराने के लिए यहां आते हैं जो शहर के बड़े अस्पतालों में अपना इलाज तो दूर इलाज के उसके बारे में सोच भी नहीं सकते हैं. 
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना कई वर्षों पूर्व गई थी. जब भारत मे अस्पतालों की संख्या कम हुआ करती थी लेकिन अब तो सरकार के देख रेख में चलने वाला अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र भी लगभग सभी स्थानों पर बदहाल स्थिति में है. इसके बाद भी पूरे साल इन पर व्यवस्थाओं के नाम पर खर्च किया जा रहा है जबकि वास्तिविक स्थिति यह है कि ना तो यहां स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध रहते हैं और ना ही इनकी कोई देखरेख हो पाती है. वहीं, इस मामले में सिविल सर्जन ने कहा कि स्टेट लेबल से डिमांड किया गया था कि स्वस्थ केंद्र के लिए जगह चिन्हित कि जाए, जहां इसका नया भवन बनाया जा सके. 

रिपोर्ट - विरेन्द्र मंडल 

HIGHLIGHTS

  • कई स्थानों पर उपस्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़े हैं 
  • खरसांवा के राजा ने स्वास्थ्य केन्द्र को किया था स्थापित 
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को राजा ने सरकार को दिया था सौंप
  • लोगों को भवन में आने में लगता है डर 
  • स्वास्थ केंद्र में बैठने तक की नहीं है जगह  

Source : News State Bihar Jharkhand

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