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Jharkhand News: यहां 7 साल से अधूरा पड़ा है स्कूल का भवन निर्माण, जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं बच्चे

झारखंड सरकार भले ही बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की दुहाई देती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है.

Updated on: 08 May 2023, 09:57 AM

highlights

  • सात साल से अधूरा पड़ा स्कूल का भवन
  • अभी तक नहीं पूरा हुआ निर्माणकार्य
  • स्कूल की बिल्डिंग में फैली कुव्यवस्था
  • जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं छात्र-छात्राएं

Simdega:

झारखंड सरकार भले ही बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की दुहाई देती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. राज्य सरकार बेहतर शैक्षणिक व्यवस्था बहाल करने के लिए करोड़ों खर्च करती है पर स्कूल की बिल्डिंग की उपयोगिता को लेकर कोई गंभीर नहीं और न ही बच्चों की पढ़ाई को लेकर संजीदा दिख रहा है. सिमडेगा के कोलेबिरा प्रखंड के नक्सल प्रभावित एरिया की है, जहां बच्चों को इंग्लिश मीडियम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ने और उनके भविष्य को संवारने के लिए प्रखंड के रैसिया पंचायत के हाथी बाजार में करोड़ों की लागत से बना माडल स्कूल बेकार पड़ा है. 

सात साल से अधूरा पड़ा स्कूल का भवन

स्कूल की बिल्डिंग को बने करीब 7 साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन निर्माण कार्य अभी तक अधूरा पड़ा है. करोड़ों का भवन धूल फांकने को विवश है. बिल्डिंग के भीतर गंदगी का भंडार है. वहीं, स्कूल में शौचालय तो बनाया गया है, लेकिन टैंक पर पाइप लाइन नहीं दिया गया और न हीं टैंक पर ढक्कन लगाया गया. स्कूल की बिल्डिंग में बिजली की वायरिंग तक नहीं की गई. कई जगह की दीवारें क्रेक हो गई हैं. रखरखाव के अभाव में बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो गई है.

जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं छात्र-छात्राएं

ये तो हुई स्कूल के बिल्डिंग की बात, अब बात करें स्कूल में बच्चों के पढ़ाई के व्यवस्था की तो इन छात्रों के मुताबिक स्कूल में न तो बेंच है और न ही डेस्क. यानी बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. स्कूल में केवल तीन विषयों की पढ़ाई की जाती है बाकि के सब्जेक्ट वो खुद अपने से पढ़ते हैं. राज्य सरकार में आधुनिक शिक्षा की बात हो रही है और इन बच्चों का कंप्यूटर क्लास तक नहीं चलता है. जिसकी तस्दीक स्कूल के छात्र-छात्राएं से लेकर शिक्षक खुद ही करते हैं.

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स्कूल की बिल्डिंग में फैली कुव्यवस्था

वहीं, इस संबंध में झारखंड शिक्षा परियोजना सिमडेगा के सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि भवन निर्माण अधूरा है. इसकी वजह से वहां स्कूल संचालित नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि सात साल से स्कूल की बिल्डिंग बन रही है. स्टेट ने टेंडर निकाला गया. वहां की एजेंसी है और सिविल वर्क है. इस संबंध में ज्यादा जानकारियां नहीं दे सकते हैं.

बहरहाल, स्कूल के छात्र-छात्राओं ने राज्य के सीएम हेमंत सोरेन से गुहार लगाते हुए कहा है कि हमें भी बड़े शहरों की तर्ज पर कम से कम मूलभूत सुविधाएं दी जाएं ताकि हम हौसलों और उम्मीदों की जादुई पंख से उड़ान भर अपने जीवन के सपने को साकार कर सकें.

रिपोर्ट : अमित रंजन