साहिबगंज में शिक्षा का हाल-बदहाल? आखिर कौन है इसका जिम्मेदार

बे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक तरफ स्कूलऑफ एक्सीलेंस के तहत प्रदेश के गरीब और पहाड़िया जनजातीय समुदाय के छात्र-छात्राओं को बे हतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने की दावे कर रही है.

बे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक तरफ स्कूलऑफ एक्सीलेंस के तहत प्रदेश के गरीब और पहाड़िया जनजातीय समुदाय के छात्र-छात्राओं को बे हतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने की दावे कर रही है.

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Vineeta Kumari
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साहिबगंज में शिक्षा का हाल-बदहाल( Photo Credit : फाइल फोटो)

सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह विधानसभा क्षेत्र में आने वाली साहिबगंज जिले में प्रदेश सरकार शिक्षा-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बड़े-बड़े डांगे मारकर मंचों से चाहे लाख दावे और वादे कर ले, लेकिन जमीनी स्तर पर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की आंख-मिचौली के कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सपना ढाक के तीन-पात ही साबित हो रहे हैं. दरअसल, सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक तरफ स्कूलऑफ एक्सीलेंस के तहत प्रदेश के गरीब और पहाड़िया जनजातीय समुदाय के छात्र-छात्राओं को बे हतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने की दावे कर रही है. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह नगरी बरहेट में जमीनी हकीकत की सच्चाई जिसने भी सुना व देखा, उनका पैर जमीन तले फिसल गया. आखिर हेमंत के राज्य में ऐसे पढ़ेगा झारखंड, तो कैसे आगे बढ़ेगा हमारा खूबसूरत राज्य झारखंड.

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शिक्षा व्यवस्था को लेकर उठे सवाल

साहिबगंज के बरहेट विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा का हाल बदहाल-मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह नगरी बरहेट प्रखंड पर स्थित अमर शहीद-सिद्धो कान्हू की पैतृक गांव भोगनाडीह में संचालित एकलव्य विद्यालय के छात्रावास पूरी तरह से जर्जर होकर कबाड़ खाना बन चुका है. छात्रावास के आसपास पेशाबखाने की बदबू और कचरे का अंबाड़ ऐसे लगा हुआ है, जहां पर जीवन यापन करना छात्राओं के लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि नाममुमकिन है. वहीं, जब न्यूज़ स्टेट बिहार-झारखंड की टीम ने छात्रावास पहुंचकर इसकी पड़ताल की तो सरकार के सारे दावे खोखले साबित हुए. दरअसल, न्यूज़ स्टेट की पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ कि छात्रावास के अंदर स्कूल के जिम्मेदार लोगों के द्वारा जानवर जैसा व्यवहार किया जाता है और सरकार की कोई भी सुविधाएं उन्हें उपलब्ध भी नहीं कराया जाता है.

छात्रावास में रहना हुआ मुश्किल

आगे आपको बता दें कि अमर शहीद सिद्धो कान्हू के पैतृक गांव में संचालित इस आवासीय विद्यालय में शिक्षक भी हैं, छात्र भी है, लेकिन शिक्षक के बेडरूम में चमकती बिजली व पंखे की जगह AC की व्यवस्था है. इस आवासीय छात्रावास में छात्राओं के लिए शौचालय भी है, लेकिन साफ-सफाई नहीं. वहां भी कचरे का अंबाड़ लगा हुआ है. यहां पढ़ाई कर अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने वाले छात्र भी है और विधि-व्यवस्था के नाम पर डांगे मारने वाले जिम्मेदार अधिकारी भी है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार उनके पास फंड की कोई व्यवस्था नहीं? यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों के रूम में पंखे भी है, लेकिन पंखों को चलाने के लिए सोलर के आलावे बिजली की कोई व्यवस्था नहीं.

सामने आई प्रशासन की लापरवाही

आपको बता दें कि तीन-चार सौ की संख्यां में गरीब आदिवासी छात्र पढ़ाई करते हैं, लेकिन सुविधा की अभाव वाले इस छात्रावास में छात्राओं को हमेशा ही निराश होकर दिन काटना और रात गुजारना पड़ता है. वहीं, जो गरीब परिवार के बच्चे किसी दूसरे स्कूल में नहीं जा सकते हैं. उन्हें यहीं पढ़ाई कर भागवान से दुआ मांगनी पड़ती है कि काश वह भी कोई अच्छा छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर पाते.

HIGHLIGHTS

  • शिक्षा व्यवस्था को लेकर उठे सवाल
  • छात्रावास में रहना हुआ मुश्किल
  • सामने आई प्रशासन की लापरवाही

Source : News State Bihar Jharkhand

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