केंद्र सरकार 'गाजा' के लिए शांति की अपील क्यों नहीं करती : इम्तियाज जलील
IND vs ENG: कप्तान शुभमन गिल का हुआ 'अशुभ' आगाज, इन 3 बड़े कारण से लीड्स टेस्ट हारा भारत
आपातकाल लोकतंत्र पर एक क्रूर हमला, मौलिक अधिकारों का किया गया दमन: कविंदर गुप्ता
सुहागरात पर इस एक्ट्रेस की लगी बोली, प्रेग्नेंट हुई तो सास ने पीटा, पति का भी नहीं मिला साथ
पुणे : पालखी समारोह में चोरी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 24 लाख रुपए के माल बरामद
रील बनाने के चक्कर में ट्रेन की चपेट में आया युवक, तेजी से वायरल हो रहा है वीाडियो
चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर चुनाव में बड़ा बदलाव, गुप्त मतदान की जगह हाथ उठाकर होगी वोटिंग
स्मृति शेष : स्वतंत्र भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री, इतिहास की गुमनाम शिल्पकार सुचेता कृपलानी
DGCA ने एयरपोर्ट्स का किया निरिक्षण, जांच में पाई गईं ऐसी खामियां जो बड़े खतरों का संकेत

शिक्षक के समर्पण ने स्कूल को बनाया खास, शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह हाईटेक

आमतौर पर बिहार और झारखंड के सरकारी स्कूलों का नाम सुन हमारे दिमाग में बदहाली और कुव्यवस्थाओं की तस्वीर सामने आती है, लेकिन चतरा का एक स्कूल ऐसा है. जो आपकी सोच को बदलने पर मजबूर कर देगा.

आमतौर पर बिहार और झारखंड के सरकारी स्कूलों का नाम सुन हमारे दिमाग में बदहाली और कुव्यवस्थाओं की तस्वीर सामने आती है, लेकिन चतरा का एक स्कूल ऐसा है. जो आपकी सोच को बदलने पर मजबूर कर देगा.

author-image
Vineeta Kumari
New Update
chatra school

शिक्षक के समर्पण ने स्कूल को बनाया खास( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

आमतौर पर बिहार और झारखंड के सरकारी स्कूलों का नाम सुन हमारे दिमाग में बदहाली और कुव्यवस्थाओं की तस्वीर सामने आती है, लेकिन चतरा का एक स्कूल ऐसा है. जो आपकी सोच को बदलने पर मजबूर कर देगा. स्कूल के एक शिक्षक के समर्पण और ग्रामीणों के सहयोग ने न सिर्फ खास बनाया, बल्कि स्कूल को मॉडल विद्यालय के तौर पर पहचान भी दिलाई. इस स्कूल को देखकर आप धोखा बिल्कुल भी मत खाइएगा. जी हां, ये प्राइवेट नहीं बल्कि झारखंड के चतरा का सरकारी स्कूल है. दरअसल, आमतौर पर बिहार-झारखंड के सरकारी स्कूलों का नाम आते ही दिमाग में बदहाली और कुव्यवस्थाओं की तस्वीर भी सामने आ जाती है. चतरा के टंडवा प्रखंड में संचालित उत्क्रमित उच्च विद्यालय हेसातू की इन तस्वीरों को देख आपकी धारणा जरूर बदल जाएगी.

Advertisment

यह भी पढ़ें- जमशेदपुर में एक अपार्टमेंट में लगी आग, हादसे में एक महिला की जलकर मौत

शिक्षक के समर्पण ने स्कूल को बनाया खास

स्कूल की रूपरेखा ऐसे ही नहीं बदली. दरअसल, स्कूल की शिक्षा व्यवस्था और रखरखाव को हाईटेक बनाने में स्कूल के शिक्षक विनेश्वर कुमार का अहम योगदान है. स्कूल में इनकी पोस्टिंग साल 2002 में हुई थी. तब ये स्कूल एक साल पहले बंद पड़ा हुआ था. इसके अलावा विद्यालय चौक चौराहों और शहरों की चकाचौंध से दूर जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे कम आबादी वाले गांव में होने की वजह से कोई भी शिक्षक यहां आने से डरता था. शिक्षक विनेश्वर के मुताबिक उनकी स्कूल में जब पोस्टिंग हुई थी. तब गांव में जाने के लिए सड़क तक की व्यवस्था नहीं थी.

मॉडल स्कूल के रूप में जिले में मिली पहचान

इसके अलावा इलाके में नक्सलियों की चहलकदमी हुआ करती थी. तब गांव में शिक्षा का स्तर काफी कम था. गांव के अधिकांश बच्चे पांचवी तक ही पढ़ाई कर पाते थे. पढ़ाई के स्तर को देख विनेश्वर कुमार ने सबसे पहले स्थानीय लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया और स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को सुद्दढ़ करने के लिए उनका सहयोग भी लिया. शिक्षक विनेश्वर की मेहनत रंग लाई और इस स्कूल का नाम जिले के मॉडल स्कूल के रूप में हो गई.

स्कूल में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह हाईटेक

अब बात स्कूल की करें, तो यहां पहली से लेकर दसवीं क्लास तक 600 से अधिक बच्चे नामांकित हैं. जिन्हें स्कूल के शिक्षक निजी स्कूल की तरह हाईटेक तरीके से पढ़ाते हैं. स्कूल में स्मार्ट बोर्ड, कंप्यूटर क्लासेस की व्यवस्था सहित अन्य व्यवस्थाओं को पाकर यहां के बच्चे भी काफी खुश नजर आते हैं, जिसे वो कुछ इस तरह से बयां भी कर रहे हैं. वहीं, स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि इस स्कूल को संवारने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. 

स्कूल के प्रिंसिपल दासो राणा का कहना है कि स्कूल के बेहतर रखरखाव और हाईटेक शिक्षा व्यवस्था को बहाल करने के लिए राज्य के शिक्षा सचिव ने साल 2022 में शिक्षक विनेश्वर कुमार को सम्मानित करते हुए एक लाख रुपये का प्रोत्साहन राशि दिया था. जिसे उन्होंने स्कूल की कायाकल्प के लिए लगा दिया. बहरहाल, स्कूल के शिक्षक के समर्पण और ग्रामीणों के सहयोग से नक्सल प्रभावित गांव की श्रेणी में आने वाले उत्क्रमित उच्च विद्यालय हेसातू की तस्वीर और शिक्षा व्यवस्था तो बदल गई, लेकिन अब जरूरत है कि सरकार विद्यालय के रखरखाव और मॉडल बनाने में ग्रामीण और शिक्षकों का सहयोग कर उनके मनोबल को बढ़ावा दे. ताकि सरकारी विद्यालयों के नाम सुनकर बदहाली और कुव्यवस्थाओं के बारे में सोचने वाले लोगों के विचार बदल सके. साथ ही स्कूल के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके.

HIGHLIGHTS

  • मॉडल स्कूल के रूप में जिले में मिली पहचान
  • स्कूल में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह हाईटेक
  • शिक्षक के प्रयास से स्कूल को मिला मॉडल स्कूल का दर्जा

Source : News State Bihar Jharkhand

Chatra News jharkhand local news hindi news update jharkhand latest news
      
Advertisment