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नदियों के अस्तित्व को खतरा, काले पानी में तब्दील हो रही स्वर्णरेखा और खरकई

जमशेदपुर शहर पूरी तरह से दोनों नदियों के बीचों-बीच बसा हुआ है, जिसमें तीन नगर निकाय आते हैं. कई बड़ी कंपनियां भी इस के बीच आती है, जहां एक तरफ नगर निकाय स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है.

Updated on: 25 May 2023, 01:21 PM

highlights

  • काले पानी में तब्दील हो रहा स्वर्णरेखा और खरकई
  • नदियों के अस्तित्व को खतरा
  • नदियों को देखने वाला कोई नहीं

Jamshedpur:

जमशेदपुर शहर पूरी तरह से दोनों नदियों के बीचों-बीच बसा हुआ है, जिसमें तीन नगर निकाय आते हैं. कई बड़ी कंपनियां भी इस के बीच आती है, जहां एक तरफ नगर निकाय स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है. वहीं दूसरी तरफ बड़ी-बड़ी कंपनियां सीएसआर के तहत करोड़ों रुपए शहर पर खर्च करने का दावा करती है. मगर शहर की लाइफ लाइन को देख इन दावों की हकीकत समझी जा सकती है. तीनों नगर निकाय क्षेत्र में लगभग 40 बड़े-बड़े नाले, जो सीधे नदियों में गिरते हैं. मगर अब नगर निकाय का दावा है कि करोड़ों की योजना बनाई जा रही है, जिससे शहर का पानी बिना ट्रीटमेंट हुए नदियों में नहीं जाएगा.

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काले पानी में तब्दील हो रहा स्वर्णरेखा और खरकई

जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति का कहना है कि 30 करोड़ की लागत से इस योजना को धरातल पर उतारा जाएगा और हमारे क्षेत्र में आने वाले 19 बड़े नालों के पानी को ट्रीटमेंट कर नदियों में गिराया जाएगा तो, वहीं दूसरी तरफ मानगो नगर निगम के अधिकारी का कहना है कि हमारे यहां भी आठ ना ले जो सीधे नदियों में रहते हैं. कई नदियों में हमने जाली लगाया है, जिससे कपड़ों को रोका जाता है. 

नदियों के अस्तित्व को खतरा

मगर गंदा पानी नदी में गिरता है, जिसकी वजह से नदी का पानी काला होता जा रहा है. विभाग जमीन चिन्हित कर रही है, जिस पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाए और शहर के तमाम ड्रेनेज और नालों के पानी को रीसाइक्लिंग किया जाएगा. इन दोनों नदियों से जहां पूरे शहर को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता है, तो वहीं आसपास के 40 गांव इस नदी पर डिपेंड है. पानी इतना गंदा हो गया है कि विभाग को लोगों तक पानी पहुंचाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ लगातार नदी सुरक्षा को लेकर आवाज उठाते सरयू राय ने इन सभी दावों पर सवाल खड़ा कर दिया है.

नदियों को देखने वाला कोई नहीं

इस पर केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार को भी इन दोनों नदियों को बचाने के लिए एक ठोस कदम उठाने की मांग की है, वहीं सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता के पहल पर सवाल खड़ा किया और दूसरी तरफ नगर निकाय के अधिकारियों द्वारा किए गए दावों पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इस पर अब सरकार और हाई कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए जिससे हर साल करोड़ों रुपए खर्च हो जा रहे हैं मगर नदी अपना अस्तित्व होते जा रही है.