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मूर्तिकारों पर महंगाई की मार, कीमत में 20-30 फीसदी की बढ़ोतरी

नवरात्रि की धूम पूरे देश में देखी जा रही है. झारखंड में भी दुर्गा पूजा की रौनक है. जगह-जगह पंडाल सजाए जा रहे हैं.

Updated on: 15 Oct 2023, 06:30 PM

highlights

  • झारखंड में दुर्गा पूजा की रौनक
  • दुर्गा पूजा पर महंगाई की मार
  • मूर्तिकार पर भी मुश्किल में

 

 

Saraikela:

नवरात्रि की धूम पूरे देश में देखी जा रही है. झारखंड में भी दुर्गा पूजा की रौनक है. जगह-जगह पंडाल सजाए जा रहे हैं. मां की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, लेकिन इस बार दुर्गा पूजा की रौनक को महंगाई फीका कर रही है. सरायकेला में भी मूर्तिकार पूरे उत्साह के साथ मां दुर्गा की मूर्तियां बना रहे हैं. यहां के मूर्तिकार पिछले 35-40 सालों से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. हालांकि महंगाई के चलते इस बार पहले जैसे हालात नहीं है और महंगाई की मार दुर्गा पूजा पर भी पड़ने वाली है. जहां लागत में 20 से 30 फीसदी की बढ़त से आयोजन समितियों की जेब पर भी बोझ बढ़ेगा. निर्माण लागत में हुई बढ़ोत्तरी के चलते दुर्गा पंडालों में स्थापित होने वाली प्रतिमाओं की कीमत में इस बार 20 से 30 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है. 

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झारखंड में दुर्गा पूजा की रौनक

बीते साल स्थापना के लिए जो देवी प्रतिमा 10 हजार में मिली थी, उसके लिए इस बार 15 हजार तक खर्च करने होंगे. महंगाई की मार खरीदारों पर तो पड़ी ही है, मूर्तिकार भी इससे परेशान हो रहे हैं. क्योंकि उन्हें भी पहले से ज्यादा महंगी कीमत पर कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है. इसके अलावा मूर्ति निर्माण में इस्तेमाल होने वाले सामान भी मूर्तिकारों को मुश्किल से मिल रहे हैं. दिन-रात मेहनत कर मूर्तिकार प्रतिमा तो बना रहे हैं, लेकिन इसकी कोई गारंटी भी नहीं है कि उनकी मूर्तियों के लिए उन्हें उचित कीमत मिलेगी भी या नहीं.

दुर्गा पूजा पर महंगाई की मार

झारखंड में बंगाल के तर्ज पर ही दुर्गा पूजा का आयोजन होता है. लिहाजा दुर्गा पूजा में प्रतिमा बनाने वाले बंगाल से आए कारीगर बड़ी मेहनत और लगन से देवी मां की मूर्तियां बना रहे हैं. एक दशक से अधिक समय से देवी-देवताओं की मूर्तियां बना रहे इन कारीगरों का कहना है कि महंगाई ने उनके व्यवसाय पर बुरा असर डाला है. जहां जो महंगाई के चलते पहले से कम मूर्ति बना रहे हैं. मूर्ति निर्माण ही इन कारीगरों की रोजी-रोटी का जरिया है. ऐसे में इस व्यवसाय पर संकट आना मतलब उनके रोजगार और रोजी-रोटी पर संकट आने जैसा है. जरूरत है कि सरकार इन कारीगरों पर अपनी नजर-ए-इनायत करे ताकि सरकारी मदद के जरिए ये अपने व्यवसाय को कामय रख सके.