सरायकेला: बदहाली की दंश झेल रहा सामुदायिक उप स्वास्थ्य केंद्र, जर्जर भवन में इलाज कराने को मजबूर लोग

स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उपस्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किए हैं. कई स्थानों पर तो उपस्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़े हैं और भवन खण्डर बन गए हैं.

स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उपस्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किए हैं. कई स्थानों पर तो उपस्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़े हैं और भवन खण्डर बन गए हैं.

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Vineeta Kumari
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बदहाली की दंश झेल रहा सामुदायिक उप स्वास्थ्य केंद्र( Photo Credit : प्रतीकात्मक तस्वीर)

स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उपस्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किए हैं. इनका संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है. कई स्थानों पर तो उपस्वास्थ्य केन्द्र बंद पड़े हैं और भवन खण्डर बन गए हैं. ऐसे में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं और शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की योजना तो बना ली, लेकिन उनके संचालन की व्यवस्थाएं नहीं हो पाई. ऐसे में शासन की मनसा पूरी नहीं हो पा रही है. जिसका दंश सरायकेला खरसांवा का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र झेल रहा है.

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जर्जर भवन में चल रहा इलाज

खपरैल के इस मकान को देख यही लग रहा होगा कि कई वर्षों से इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खरसांवा के विधानसभा का है, जो वर्षों पुराना है. इस स्वास्थ्य केंद्र को खरसांवा के राजा स्वर्गीय प्रदीप चंद्र सिंहदेव ने स्थापित किया था. जब खरसांवा में राज दरबार और राजघराना हुआ करता था. उस उक्त राजा सिंहदेव ने अपनी जमीन देकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरकार को सौंप दिया था कि सरकार इस स्वास्थ्य केंद्र की देख रेख कर चलाएगी और खरसांवा के ग्रामीणों का इलाज उपचार होगा. 

स्वास्थ्य केंद्र में बैठने की भी जगह नहीं

इस केंद्र की शुरुआत 30 बेड से हुई थी और आज भी इस स्वास्थ्य केंद्र में 30 बेड है. समय बदला, अधिकारी बदले, जिस राजा ने जमीन पर स्वास्थ्य केंद्र खोला था, अब वह राजा भी स्वर्गीय हो गए, लेकिन नहीं बदली तो केंद्र की सूरत. जहां आज भी खपरैल के ही छत के नीचे ओपीडी, ड्रेसिंग रूम, इमरजेंसी जैसे कई बीमारियों का उपचार हो रहा है. बारिश के महीने में केंद्र की दीवार से पानी भी टपकता रहता है, जिससे साफ है कि सरकार की सरकारी चीजें को दीमक चाट रही है. इसका कारण है देख रेख नहीं कर पाना.

प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

यहां काम करने वाले डॉक्टर या स्टॉफ का कहना है कि केंद्र में बैठने तक की जगह नहीं है, भवन इतना जर्जर हो गया है. लोगों को यहां इलाज कराने आने में भी डर लगता है. यह स्वास्थ्य केंद्र में ज्यादातर ग्रामीण मरीज ही अपना इलाज कराने के लिए यहां आते हैं, जो शहर के बड़े अस्पतालों में अपना इलाज तो दूर इलाज के बारे में सोच भी नहीं सकते. जब खरसांवा में राजा राजवाड़े का शासन चलता था, कभी किसी ने इस केंद्र की सुध नहीं ली. राजा स्वर्गवासी हो गए, सरकार बनी, बदल गई, पर इस सामुदायिक केंद्र की सूरत नहीं बदली. इस स्वस्थ केंद्र में काफी जगह है. अगर इसे सही तरीके से बना कर सुचारू रूप से शुरू किया जाए, तो काफी अच्छा और बड़ा केंद्र बन सकता है.

HIGHLIGHTS

  • बदहाली की दंश झेल रहा सामुदायिक उप स्वास्थ्य केंद्र
  • स्वास्थ्य केंद्र में बैठने की भी जगह नहीं
  • प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

Source : News State Bihar Jharkhand

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