Jharkhand: प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से गूंजा उधवा अभ्यारण्य, मंत्री सुदिव्य कुमार ने किया स्वागत

Jharkhand: वेटलैंड प्राकृतिक हो और वहां कम से कम 20,000 प्रवासी पक्षियों का आगमन होता हो. पतरा झील इन महत्वपूर्ण मानकों पर खरी उतरती है, इसलिए इसे यह प्रतिष्ठित पहचान मिली है.

Jharkhand: वेटलैंड प्राकृतिक हो और वहां कम से कम 20,000 प्रवासी पक्षियों का आगमन होता हो. पतरा झील इन महत्वपूर्ण मानकों पर खरी उतरती है, इसलिए इसे यह प्रतिष्ठित पहचान मिली है.

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Yashodhan.Sharma
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Jharkhand Udhwa bird Sanctuary

Jharkhand Udhwa bird Sanctuary Photograph: (Sudivya Kumar X Account)

Sahebganj: झारखंड के साहिबगंज जिला स्थित उधवा अभ्यारण्य प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से गूंज उठा है. यहां सर्दियां आते ही हर साल की तरह इस बार भी साइबेरिया, यूरोप और अन्य जगहों से ये पक्षी देखने को मिल रहे हैं. यहां मौजूद पतरा झील पर इनका ठिकाना बनता है. इसकी इसकी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध जैव विविधता और शांत वातावरण इसे एक प्रमुख वेटलैंड के रूप में महत्व देते हैं.

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इसके अलावा नगर विकास सह तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार ने भी अपने एक्स हेंडिल से ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि सर्दियां आते ही उधवा में प्यारे पक्षी मेहमान आ चुके हैं. उन्होंने आगे कहा कि गंगा नदी की गोद में बसा यह पक्षी अभ्यारण्य झारखण्ड का एक महत्वपूर्ण और आकर्षक पर्यटन स्थल है.

उधवा बना झारखंड का रामसर साइट

बता दें कि पतरा झील को रामसर साइट के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल चुकी है. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा मिले इस दर्जे के साथ ही पतरा झील झारखंड की पहली रामसर साइट बन गई है. इस घोषणा से न केवल राज्य के लिए गर्व का क्षण पैदा हुआ है, बल्कि इस क्षेत्र के विकास की नई संभावनाएँ भी खुल गई हैं.

रामसर साइट क्या होती है?

सन 1971 में ईरान के शहर रामसर में वेटलैंड के संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौता किया गया था. इसी समझौते के तहत दुनियाभर के महत्वपूर्ण वेटलैंड को चिन्हित कर उन्हें रामसर साइट का दर्जा दिया जाता है. इसके लिए कुल नौ मापदंड निर्धारित किए गए हैं, जिनमें प्रमुख है कि वेटलैंड प्राकृतिक हो और वहां कम से कम 20,000 प्रवासी पक्षियों का आगमन होता हो. पतरा झील इन महत्वपूर्ण मानकों पर खरी उतरती है, इसलिए इसे यह प्रतिष्ठित पहचान मिली है.

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