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RIMS में पहली बार रोबोट की मदद से हुई सर्जरी, मरीज की हालत हो गई ऐसी!

रांची रिम्स द्वारा अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट पर इस बात की पुष्टि की गई है.

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Shailendra Shukla
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रोबोट की मदद से सर्जरी की गई( Photo Credit : न्यूज स्टेट बिहार झारखंड)

साइंस दिन-प्रतिदिन नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है और आज पहली बार रांची के रिम्स हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग में रोबोटिक सर्जरी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई. रांची रिम्स द्वारा अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट पर इस बात की पुष्टि की गई है. रिम्स ने ट्वीट किया 'रिम्स के सर्जरी विभाग में पहली बार रोबोट की मदद से गॉल ब्लैडर की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई. बेल्जियम की कंपनी एवं मेरिल इंडिया के द्वारा आधुनिक तकनीक की रोबोट "HandX" के द्वारा यह ऑपरेशन किया गया.' वहीं, सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य है और उसे जल्द ही हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी जाएगी.

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बता दें कि गॉल ब्लैडर स्टोन पित्ताशय की थैली ऊपरी दाहिने पेट में लीवर के नीचे एक छोटा सा अंग होता है. गॉल ब्लैडर का काम होता है पित्त को गाढ़ा करना. ये डाइजेशन में बहुत मददगार होता है. ये लीवर में बनता है गॉल ब्लैडर में स्टोर होता है. उसके बाद इंटेस्टाइन में जाकर खाने की डाइजेशन में ये मदद करता है. जब गॉल ब्लैडर में किसी को शिकायत होती है तो कुछ मामलों में संक्रमण के कारण पाचक रस गाढ़ा होकर स्टोन बन जाता है और इसको ही गॉल ब्लैडर का स्टोन कहा जाता है. यह गॉल ब्लैडर के स्टोन और मोटापा, डायबिटीज समेत के अलावा हाईपरटेंशन और हाइपरकोलेस्टेरोलेमिया जैसे जीवनशैली से जुड़े रोगों के बीच गहरा संबंध है. अगर समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो कैंसर जैसी बीमारी भी इंसान को हो सकती हैं.

ये भी पढ़ें-इंडिया-न्यूजीलैंड की क्रिकेट टीम पहुंची रांची, T20 की 'जंग' 27 जनवरी को

गॉल ब्लैडर में स्टोन होने के लक्षण की बात करें तो उल्टियां आना, भूख कम लगना, गैस बनना, एसिडिटी होना, पेट के दाईं ओर ऊपरी हिस्से में असहनीय पीड़ा होना इसके प्रमुख लक्षण हैं. अब अगर इसके तेजी से फैलते लक्षण की बात करें तो गॉल ब्लैडर के रास्ते में  में जब स्टोन आकर फंस जाता है तो ब्लैडर में संक्रमण हो जाता है और मरीज के पेट में असहनीय पीड़ा होती है. वहीं, विशेष प्रकार की पीलिया भी इंसान को हो जाती है. भूख न लगना, बुखार, बदन और लिवर में तकलीफ होती है. इस समस्या को आब्स्टेक्टिव जांडिस यानी स्टोन के कारण होने वाला पीलिया भी कहते हैं. ये आम पीलिया से अलग तरीके की होती है और असहनीय पीड़ा होती है.

अब अगर उपचार की बात करें तो गॉल ब्लैडर के स्टोन का उपचार सिर्फ सर्जरी से ही हो सकती है. कुछ दशकों से दूरबीन (लैप्रोस्कोपिक) विधि से सर्जरी बहुत ही कारगर, सफल व सुरक्षित हो रही है. रिम्स में आज रोबोटिक सर्जरी की गई है जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.

HIGHLIGHTS

  • रिम्स के सर्जरी विभाग में पहली बार रोबोट की मदद से सर्जरी
  • गाल ब्लैडर की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई

Source : News State Bihar Jharkhand

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