Ranchi: गैंगस्टर अमन साव की कथित फर्जी मुठभेड़ में मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है. अमन की मां किरण देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि 'कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह राज्य का पुलिस महानिदेशक ही क्यों न हो.'
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि किरण देवी की ऑनलाइन एफआईआर अब तक दर्ज नहीं की गई है. कोर्ट ने राज्य सरकार से इस देरी को लेकर स्पष्ट जवाब दाखिल करने को कहा है. साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका (आईए) पर भी जवाब देने का निर्देश दिया गया है.
पुलिस पर साजिशन हत्या का आरोप
किरण देवी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 11 मार्च को पलामू में उनके बेटे अमन साव को पुलिस ने एक सुनियोजित साजिश के तहत फर्जी एनकाउंटर में मार डाला. अमन को रायपुर सेंट्रल जेल से रांची स्थित एनआईए कोर्ट में पेशी के लिए लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में उसकी हत्या कर दी गई.
उन्होंने कहा कि पहले से ही उन्हें इस बात की आशंका थी कि पुलिस उनके बेटे की हत्या कर सकती है. याचिका में यह भी उल्लेख है कि जब पिछले साल अक्टूबर में अमन को चाईबासा जेल से रायपुर भेजा गया था, तब 75 पुलिसकर्मियों की टीम साथ थी, लेकिन इस बार केवल 12 सदस्यीय एटीएस टीम थी.
सबूत नष्ट होने का खतरा
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि राज्य सरकार जानबूझकर जांच में देरी कर रही है, जिससे अहम साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं. कॉल रिकॉर्ड जैसी जानकारियां समय सीमा के भीतर ही मोबाइल कंपनियों से प्राप्त की जा सकती हैं, लेकिन देरी के चलते वे नष्ट हो सकती हैं.
सीबीआई जांच की मांग
इस मामले में किरण देवी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, सीबीआई निदेशक, झारखंड के गृह सचिव, डीजीपी, रांची एसएसपी और एटीएस अधिकारियों को पक्षकार बनाया है. उन्होंने सीबीआई से निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग की है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई में विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई जल्द होनी है.
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