Jharkhand News: सरायकेला में आदिवासियों की दुर्दशा, ना सड़क-ना पानी, मुश्किल में जिंदगानी

सरायकेला के एक गांव में लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. गांव में ना तो सड़क है और ना ही पानी. लोग खपरैल घर में रहने को मजबूर हैं.

सरायकेला के एक गांव में लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. गांव में ना तो सड़क है और ना ही पानी. लोग खपरैल घर में रहने को मजबूर हैं.

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Jatin Madan
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Saraikela

शासन-प्रशासन के दावे हवा-हवाई.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

सरायकेला के एक गांव में लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. गांव में ना तो सड़क है और ना ही पानी. लोग खपरैल घर में रहने को मजबूर हैं. प्राकृतिक रूप से सरायकेला इतना सुंदर है कि मानो प्रकृति ने इसे दोनों हाथों से सजाया हो. आस पास जंगलों से घिरी सुंदर पहाड़ियां और आसमान को चीरती सूरज की किरणें हर किसी का मन मोह लेती हैं. वहीं, इस मनमोहक नजारे के पीछे वो कड़वी सच्चाई छिपी है जो बार-बार लगातार विकास के उन दावों और वादों को हवा हवाई साबित कर देती है जो चुनावी मौसम में किसी लॉलीपॉप की तरह भोली भाली जनता को थमाया जाती है.

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विकास की बाट जोहता गांव

सरायकेला के कोंकादासा गांव आज भी विकास से कोसो दूर है. यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आदिवासी परिवार आज भी खपरैल मकान और पगडंडियों के सहारे गुजारा करने को मजबूर हैं. जिले के दलमा गज परियोजना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का कोंकादासा गांव जंगल की बीहड़ो में बसा हुआ आदिवासी बहुल गांव है. गांव में करीब 30 परिवार रहते हैं. जिन्हें राज्य निर्माण के 23 सालों के बाद भी ना तो सड़क की सुविधा मिली है और ना ही बिजली का इंतजाम. गांव में ना स्वास्थ्य केंद्र है ना शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था. बदहाली की मार झेल रहे ग्रामीणों की दुर्दशा सालों से जस के तस है. आलम ये है कि गांव के लोग परेशान होकर गांव छोड़कर जाने को मजबूर हैं.

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शासन-प्रशासन के दावे हवा-हवाई

इन ग्रामीणों को आज तक केंद्र सरकार और राज्य सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिला. अब तक पीएम आवास उपलब्ध नहीं हो पाया है.  ज्यादातर लोग ऐसे जर्जर मकान में रहने को मजबूर हैं जो कब ढह जाए कहा नहीं जा सकता. लोग घर की छत पर पलास्टिक लगाकर गुजारा कर रहे हैं. ग्रामीणों की मानें तो चुनाव के समय पर ग्रामीण जंगल की बीहड़ों से होते हुए 20 किलोमीटर दूर जाकर मतदान करते हैं, लेकिन जब बात इनकी सुविधाओं की आती है तो वही जनप्रतिनिधि इनकी सुध नहीं लेते.

गांव की बदहाली के चलते अब यहां के युवाओं की शादी तक नहीं हो रही, लेकिन शासन प्रशासन को इनकी कोई फिक्र नहीं. ऐसे में देखना ये होगा कि खबर दिखाने के बाद भी ग्रामीणों की गुहार सुनी जाती है या नहीं. 

रिपोर्ट : बीरेंद्र मंडल

HIGHLIGHTS

  • आदिवासियों की ये दुर्दशा क्यों?
  • विकास की बाट जोहता गांव
  • ना सड़क, ना पानी.. मुश्किल में जिंदगानी
  • शासन-प्रशासन के दावे हवा-हवाई

Source : News State Bihar Jharkhand

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