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खंडहर में तब्दील हुआ पाकुड़ का स्कूल, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

पाकुड़ के पाकुड़िया प्रखंड में भी शिक्षा व्यवस्था जर्जर हो गई है. दरअसल यहां मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राथमिक विद्यालय मड़गांव में छात्र डर-डर कर पढ़ाई करने को मजबूर है.

Updated on: 03 Apr 2023, 01:47 PM

highlights

  • जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर छात्र
  • बरामदे में बैठकर पढ़ते हैं छात्र
  • कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
  • शासन-प्रशासन बना लापरवाह

Pakur:

पाकुड़ के पाकुड़िया प्रखंड में भी शिक्षा व्यवस्था जर्जर हो गई है. दरअसल यहां मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राथमिक विद्यालय मड़गांव में छात्र डर-डर कर पढ़ाई करने को मजबूर है. यहां छात्रों को क्लासरूम में जाने से डर लगता है और बरामदे में बैठकर ही पढ़ाई करते हैं. छात्रों को स्कूल में हर वक्त ये डर रहता है कि कहीं कहीं लोहे की छड़ें दीवारों का साथ ना छोड़ दे. छात्रों को डर रहता है कि कहीं खंडहर बन चुका स्कूल भवन भरभराकर गिर ना जाए.

जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर छात्र

छात्रों का कहना है कि इस स्कूल भवन को खंडहर कहें या भूत बंगला, समझ नहीं आता. छत की हालत ऐसी है मानो किसी भी वक्त गिर जाए. सीलन से भरी क्लासरूम्स की दीवारें और आस-पास कूड़े का अंबार... आलम ये है कि छात्र स्कूल के बरामदे में पढ़ने को मजबूर हैं. पाकुड़ के पाकुड़िया प्रखंड जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मड़गांव का प्राथमिक विद्यालय अपनी ही हालत पर आंसू बहा रहा है. 40 साल पुराने इस स्कूल भवन की हालत बिल्कुल जर्जर हो गई है. स्कूल प्रबंधन के साथ ही ग्रामीणों को भी डर सताता रहता है कि कहीं स्कूल भवन गिर ना जाए. इसी डर के साये के बीच बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. इस स्कूल में कुल 105 छात्र नामांकित हैं. स्कूल में दो कमरे हैं, लेकिन बच्चों को बाहर ही पढ़ाया जाता है.

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बरामदे में बैठकर पढ़ते हैं छात्र

स्कूल में जर्जर भवन के साथ शौचालय भी बदहाल है. आस-पास की दीवारों में भी दरारें पड़ गई हैं. बारिश के महीने में तो स्कूल की हालत बदतर हो जाती है. जगह-जगह पानी टपकने लगता है. बैठना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसा नहीं है कि स्कूल की बदहाली की जानकारी प्रशासन को नहीं है. खुद प्रिंसिपल ने भी कई बार इस समस्या की जानकारी प्रशासन को दी है, लेकिन समस्या जस के तस बनी है.

शासन-प्रशासन बना लापरवाह

स्कूल की हालत को देख कहना मुश्किल नहीं है कि यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन ना तो कोई अधिकारी और ना ही कोई जनप्रतिनिधि बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को लेकर गंभीर नजर आ रहा है. शिकायत के बाद भी मामले पर सुनवाई ना होना शासन-प्रशासन के दावों की पोल खोल रहा है, लेकिन सवाल ये कि अगर स्कूल में कोई अनहोनि होती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? सवाल ये भी कि आखिर कबतक मासूम छात्रों की सुरक्षा से यूं ही खिलवाड़ होता रहेगा?

रिपोर्ट : तपेश