लातेहार: किसानों ने 7 एकड़ को बंजर भूमि को बनाया उपजाऊ, कायम किया नया मिसाल
जीवन में अगर कुछ करने की चाहत और ललक हो तो बंजर भूमि भी उपजाऊ हो सकती है. लातेहार के किसानों ने ऐसा ही कुछ कमाल कर दिखाया है.
highlights
- किसानों ने बंजर भूमि को बनाया उपजाऊ
- ग्राम स्वराज अभियान के तहत काम की शुरुआत
- सात एकड़ जमीन को बनाया विशाल खेत
Latehar:
जीवन में अगर कुछ करने की चाहत और ललक हो तो बंजर भूमि भी उपजाऊ हो सकती है. लातेहार के किसानों ने ऐसा ही कुछ कमाल कर दिखाया है. दरअसल, लातेहार जिले के मनिका प्रखंड अंतर्गत जान्हों गांव के नौ किसानों ने अपनी मेहनत और लगन के बदौलत अपने सात एकड़ बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया है. इसमें उन्होंने आम बागवानी लगाई है. कठिन परिस्थितियों में भी किसानों ने हौसला मजबूत रखा. आज वे दूसरों के लिए प्रेरणादायक बन गये है. इन किसानों की मेहनत और काबिलियत की सराहना दूर दूर तक हो रही है. देखिये किसानों से जुड़ी हमारी यह खास रिपोर्ट में.
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किसानों ने बंजर भूमि को बनाया उपजाऊ
किसानों की बदहाली किसी से छुपी नहीं है. कभी मौसम की बेरुखी, तो कभी बारिश नहीं होने से किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है, लेकिन उसी बदहाली में अच्छी आमदनी के लिए अवसर तलाश कर लेना, खुद में एक बहुत बड़ी बात है. ऐसा ही किया है, जान्हों गांव के कुछ किसानों ने, जिससे उनकी बंजर भूमि उपजाऊ हो गयी है. अब उन्हें अच्छा मुनाफा भी इससे मिलेगा. दरअसल, जिस परसही टोला का हम खबर में जिक्र कर रहे हैं. वह गांव से काफी दूरी पर पठारी इलाके में है. इस इलाके की ज्यादातर जमीन ऊपरी टांड पर होने के कारण बंजर ही रहता था. खेती जहां होती थी, वहां भी सिंचाई की उतनी सुविधा किसानों को मुहैया नहीं हो पाता था. ऐसे में गांव के लोगों का ध्यान खेती के प्रति कम और मजदूरी के प्रति अधिक रहता था, जिससे पलायन को भी बढ़ावा मिल रहा था.
ग्राम स्वराज अभियान के तहत काम की शुरुआत
ऐसी स्थिति में 2016 के आसपास गांव में ग्राम स्वराज अभियान के तहत कुछ काम की शुरुआत हुई, जिससे गांव की समस्याएं खुलकर सामने आने लगी. बैठकों के माध्यम से लोगों को सामूहिक खेती का महत्व उन्हें बतलाया गया. कैसे बड़े पैमाने पर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है. हालांकि कई लोगों को इस बात का भी डर था कि कोई दबंग जमीन पर अवैध कब्जा न जमा ले, ऐसे में उन्हें बताया गया कि यह पूरी तरह से कागजी कार्रवाई और सभी के सहमति और हस्ताक्षर के साथ होगा. जिसके बाद ग्रामीणों को विश्वास हुआ.
सात एकड़ जमीन को बनाया विशाल खेत
इसके बाद 9 किसान एकजुट हुए और अपनी सात एकड़ जमीन को मिलाकर एक विशाल खेत का रूप तैयार किया. फिर उसमें आम की खेती करनी शुरू की. नरेगा के तहत 2017 में बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने का काम शुरू हुआ. नतीजतन आज बंजर भूमि हरियाली में तब्दील हो गयी है, जिससे किसानों के चेहरे पर भी खुशियां साफ झलकती है. कल तक जो जमीन बंजर थी और ग्रामीणों को मुंहचिड़ा रही थी. आज वहीं जमीन उपजाऊ और हरियाली से सराबोर हो गयी है. इधर इस संबंध में किसान कमलेश उरांव ने बताया कि वह एक मजदूर के रूप में मजदूरी किया करते थे, लेकिन हमेशा से ही उनका ध्यान उन्नत खेती की दिशा में आगे बढ़ने का था. सुविधा व जानकारी के अभाव में वह मजदूरी कर अपने परिवार की परवरिश कर रहे थे.
सात एकड़ बंजर भूमि पर आम की खेती
जब गांव में 2016 के आस पास ग्राम स्वराज अभियान की बैठक होने लगी और बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की विधि बताये जाने लगी तो कमलेश को उम्मीद जगी की उसने न सिर्फ खुद को आगे किया बल्कि उनके प्रयास से ही गांव के अन्य किसान भी इसमें रुचि लेने लगे. धीरे-धीरे कमलेश ने अपने साथ अन्य आठ किसानों को जोड़ा और पहली सामूहिक खेती का मुख्य सूत्रधार बनकर आज लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. इसके साथ ही कमलेश दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गए हैं. अब कमेलश और उनके साथी सात एकड़ बंजर भूमि पर आम की खेती करते हैं. जिस जमीन पर कभी घास तक नहीं उगता था, अब उस जमीन पर पिछले तीन साल से आम के पौधे लहलहा रहे हैं और यह आम बागवानी का चौथा साल है. इसमें अभी 900 आम के पौधे हैं. इनमे मुख्य रूप से मालदह आम लगे हैं.
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