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तकनीक के जरिए हर घर तक न्याय पहुंचाने के लिए न्यायपालिका प्रतिबद्ध: CJI

इस मौके पर अपने संबोधन में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका तकनीक के इस्तेमाल से हर घर तक न्याय पहुंचाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

Updated on: 24 May 2023, 09:20 PM

highlights

  • झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन
  • राष्ट्रपति मुर्मू ने किया उद्घाटन
  • कार्यक्रम में सीजेआई डीवाई चंद्रचूण भी रहे मौजूद
  • हर घर तक न्याय पहुंचाने के लिए न्यायपालिका प्रतिबद्ध-CJI

Ranchi:

आज राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन किया. इस मौके पर देश के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ समेत तमाम गणमान्य मौजूद रहे. इस मौके पर अपने संबोधन में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका तकनीक के इस्तेमाल से हर घर तक न्याय पहुंचाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. उन्होंने न्यायिक कार्यवाही के सीधे प्रसारण की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि स्थानीय भाषाओं में आदेशों का अनुवाद करके देश के गांवों तक न्याय को पहुंचाया जा सकता है.

सीजेआई ने अपने संबोधन में आगे कहा कि प्रौद्योगिकी के माध्यम से, हम हर घर में न्याय करने की कोशिश कर रहे हैं. E-अदालतों के तीसरे चरण के तहत, भारत सरकार द्वारा 7,000 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं. प्रौद्योगिकी के जरिए न्यायिक कार्य को आम जीवन से जोड़ा जा सकता है. सीजेआई ने आगे कहा कि न्यायपालिका 6.4 लाख गांवों में न्याय ले सकती है, जब अदालत का काम संविधान में उल्लिखित भाषाओं में किया जाता है. CJI ने कहा कि 6,000 अदालती आदेशों का हिंदी में अनुवाद किया गया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मेरी यात्रा ने न्याय और अन्याय की छवि को परिभाषित करने में मदद की है.

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भारत के प्रधान न्यायाधीश ने आगे कहा कि छोटे-मोटे अपराधों के लिए लोग अशिक्षा के कारण जेल में बंद हैं. निर्दोषता की धारणा न्यायिक प्रणाली का आधार है. गरीब विचाराधीन कैदी को जमानत मिलने में देरी से लोगों का विश्वास हिलता है. सीजेआई ने अदालतों में उचित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि कई अदालतें ऐसी हैं जहां महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अब भी आदिवासियों के पास भूमि संबंधी उचित दस्तावेज नहीं हैं, और इस बात को ध्यान में रखे जाने की जरूरत है.

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राष्ट्रपति मुर्मू ने दिखाया आइना

इस मौके पर राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि मैं आज इसलिए यहां कहना चाहती हूं कि यहां सीजेआई है.. झारखंड के चीफ जस्टिस, बहुत सारे सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के जजेस, अधिवक्ता आम आदमी बैठे हैं. बहुत सारे केसेस हाईकोर्ट में फाइनल होता है.. बहुत सारे केसेस सुप्रीम कोर्ट में फाइनल होता है. फेवर में फैसला आने पर लोग खुशी मनाते हैं. लोग अपने पक्ष में फैसला आने पर खुश होते हैं चाहे जितनी देर में फैसला आया हो. पांच साल के बाद, दस साल के बाद, बीस साल के बाद जब फैसला आता है तो लोग खुश होते हैं कि देर से ही सही लेकिन उन्होंने न्याय मिला. देर है लेकिन अंधेर नहीं इसलिए लोग खुश होते हैं लेकिन खुशी ज्यादा समय तक नहीं रह पाती. राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ दिन में ही लोगों की खुशी गायब हो जाती है क्योंकि जिसके लिए वह खुश होते थे वह उनको मिलता नहीं. जिसके लिए वह इतने दिनों से समय, पैसा बर्बाद किए. कितने रात नहीं सोए. इंतजार में वो आज मिला इसलिए वो खुश होते हैं लेकिन कुछ दिन के बाद वो खुशी एक्चुअल खुशी में कन्वर्ट नहीं होता तो वह दुखी होते हैं.

नियम बनाना चाहिए

मैं एक छोटे से गांव से आई हूं. मैं पहले एक फैमिली काउंसिल की मेंबर थी. कुछ केस को फाइनल करने के बाद हम रिव्यू करते थे. बहुत सारे लोग मेरे पास आते थे कि मैंने केस तो जीत लिया लेकिन जो जस्टिस मुंझे मिलना चाहिए था वह नहीं मिला. कुछ समझ नहीं आ रहा. अगर अदालत के आदेश के बाद भी लोगों को न्याय नहीं मिलता तो लोग कहते हैं कि कंटेंप्ट का केस डाल दीजिए. मुझे ये नहीं पता कि कंटेंप्ट के बिना कोई रास्ता है कि नहीं मुझे नहीं पता है. लोगों को सही मामले में जस्टिस मिलना चाहिए. नियम अगर है तो उसका पालन होना चाहिए. केस जीतने के बाद कंटेंप्ट के बहाने 10 साल, 20 साल फिर से केस लड़ना पड़े ऐसा नहीं होना चाहिए. त्वरित न्याय होना चाहिए. पहले मेरे पास बहुत से लोग आते थे केस जीतने के बाद भी उन्हें वो नहीं मिला जो मिलना चाहिए था. पर आजकल लोग मुझ तक नहीं पहुंच पाते. पहले जो लोग आते थे उन्हें मैं आगे भेजती थी उसके बाद क्या होता था मुझे नहीं पता. अगर नियम है तो ठीक है लेकिन केंद्रीय कानून मंत्री और सीजेआई यहां मौजूद हैं अगर नियम नहीं है तो बनाना चाहिए.