/newsnation/media/media_files/2025/08/24/jharkhand-hemant-soren-house-arrests-to-champai-soren-2025-08-24-14-32-49.jpg)
Champai Soren
Jharkhand: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपाई सोरेन को रविवार सुबह हाउस अरेस्ट कर लिया गया है. खुद चंपाई सोरेन ने ही ये जानकारी एक्स पर साझा की है. उन्होंने आरोप लगाया कि नगड़ी के आदिवासी और मूलवासी किसानों की आवाज उठाने से रोकने के लिए मुझे हाउस अरेस्ट किया गया है. बता दें, चंपाई रविवार को किसानों की जमीन बेचने के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे.
चंपाई सोरेन का आरोप
चंपाई ने रविवार को एक्स पर पोस्ट करके इस बात की जानकारी दी. उन्होंने एक्स पर लिखा कि नगड़ी के आदिवासी/ मूलवासी किसानों की आवाज उठाने से रोकने के लिए झारखंड सरकार ने आज सुबह से मुझे हाउस अरेस्ट कर लिया है. उन्होंने कहा कि ये सब सरकार की दमनकारी नीतियों का हिस्सा है.
नगड़ी के आदिवासी/ मूलवासी किसानों की आवाज उठाने से रोकने के लिए झारखंड सरकार ने आज सुबह से मुझे हाउस अरेस्ट कर लिया है।
— Champai Soren (@ChampaiSoren) August 24, 2025
बीजेपी ने भी बोला हमला
भाजपा प्रदेश ईकाई ने भी चंपाई पर निशाना साधा है. भाजपा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि झारखंड के आदिवासी एवं मूलवासियों की खेतिहर जमीन की सुरक्षा हेतु आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने जाने पर भी इस ठगबंधन सरकार ने पाबंदी लगाकर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को सुबह से ही हाउस अरेस्ट करना सीधा-सीधा तानाशाही है. ये राज्य सरकार की दमनकारी मानसिकता को दर्शाती है.
झारखंड के आदिवासी एवं मूलवासियों की खेतिहर जमीन की सुरक्षा हेतु आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने जाने पर भी इस ठगबंधन सरकार ने पाबंदी लगाकर पूर्व मुख्यमंत्री श्री @ChampaiSoren जी को सुबह से ही हाउस अरेस्ट करना सीधा-सीधा तानाशाही है और राज्य सरकार की दमनकारी मानसिकता को दर्शाती है। pic.twitter.com/XFnw7oscJL
— BJP JHARKHAND (@BJP4Jharkhand) August 24, 2025
जानिए, आखिर क्या है पूरा विवाद
एक दिन पहले, शनिवार को चंपाई ने ऐलान किया था कि वे 24 अगस्त को नगड़ी जाएंगे. वे किसानों की उपजाऊ जमीन बचाने की लड़ाई लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि हम अस्पताल का विरोध नहीं कर रहे हैं. हमारा कहना है कि रिम्स-2 के लिए स्मार्ट सिटी या फिर अन्य बंजर जमीन का इस्तेमाल किया जा सकता है. चंपाई ने आरोप लगाया कि सरकार का पैटर्न साफ है कि आदिवासी समाज की आवाज उठाने वालों को फर्जी मामलों या फिर एनकाउंटर करने की धमकी देकर दबाने की कोशिश की जा रही है.