झारखंड सरकार ने भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाया
धनबाद और बोकारो में जिला स्तर पर भोजपुरी और मगही भाषा को हटाने को लेकर सत्ताधारी दल जेएमएम ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और गठबंधन में शामिल कांग्रेस से मांग की थी.
रांची:
झारखंड सरकार ने धनबाद और बोकारो की क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटा दिया है. झारखंड सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है. बोकारो और धनबाद जिले के क्षेत्रीय भाषा की सूची में अब नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, उर्दू और बंगला को रखा गया है. बाकी जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यह निर्णय लेने के पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को विश्वास में लिया. उनसे चर्चा के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. सरकार के इस कदम से इन भाषाओं के युवाओं को धनबाद और बोकारो में जिला स्तर की सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि, "क्या भोजपुरी और मगही सिर्फ एक ही राज्य के हैं? यूपी में भी भोजपुरी बोली जाती है. बिहार-झारखंड एक था. यह (भाषा) सभी के लिए है. मुझे यह आश्चर्यजनक लगता है. अगर कोई ऐसा कर रहा है तो मुझे नहीं लगता कि यह राज्य के हित में किया जा रहा है. मुझे नहीं पता ऐसा क्यों किया जा रहा है."
Do Bhojpuri & Magahi belong to just one state? Bhojpuri is spoken in UP too. Bihar-Jharkhand was one. It (language) is for all. I find this surprising. If someone is doing this, I don't think it is being done in the state's interest. I don't know why is this being done: Bihar CM pic.twitter.com/KtA2WgG7PK
— ANI (@ANI) February 19, 2022
दिल्ली में जब प्रशांत किशोर के साथ उनकी मुलाकात के बारे में पूछा गया तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा, "क्या प्रशांत किशोर से मेरा रिश्ता आज से ही है? बैठक के पीछे कोई विशेष अर्थ नहीं है."
Is my relationship with Prashant Kishor only from today? There is no special meaning behind the meeting: Bihar CM Nitish Kumar, in Delhi when asked about his meeting with Prashant Kishor pic.twitter.com/MWFKVFqogf
— ANI (@ANI) February 19, 2022
झारखंड के कार्मिक व प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग ने 24 दिसंबर, 2021 को जारी एक अधिसूचना वापस ले ली. इसमें झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित जिला-स्तरीय पदों की भर्ती परीक्षाओं में शामिल होने के लिए मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तर की इन दो भाषाओं को अनुमति दी गई थी. शुक्रवार को सोरेन सरकार ने नए आदेश के जरिए अधिसूचना को वापस ले लिया. दोनों जिलों के लोग 'झारखंडी भाषा बचाओ संघर्ष समिति' के अंतर्गत आंदोलन कर रहे हैं कि ये भाषाएं इस क्षेत्र में व्यापक रूप से नहीं बोली जाती हैं.
राज्य में भाषा विवाद को पाटने की राजनीति चरम पर थी. धनबाद और बोकारो में जिला स्तर पर भोजपुरी और मगही भाषा को हटाने को लेकर सत्ताधारी दल जेएमएम ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और गठबंधन में शामिल कांग्रेस से मांग की थी. समय के साथ बढ़ते भाषायी विवाद को देखते हुये झारखंड मंत्रालय में आवश्यक बैठक हुई. शुक्रवार शाम में इस पर सरकार का फैसला सामने आ गया.
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हैरान करने वाली बात ये है कि इस सिलसिले में संशोधन का प्रस्ताव सत्ताधारी दल ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के समक्ष लाया था. धनबाद और बोकारो जिले से भोजपुरी और मगही को हटाये जाने को लेकर झारखंड मंत्रालय में जेएमएम और कांग्रेस के प्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री की आवश्यक बैठक हुई. इस बैठक में जेएमएम ने इन दोनों ही जिलों से भोजपुरी और मगही को हटाने का प्रस्ताव कांग्रेस और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के समक्ष रखा.
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