एक तरफ जहां हेमंत सरकार अपनी उपलब्धियां गिना रही है तो वहीं दूसरी ओर आज एक बार फिर प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई. जहां 4 साल के एक आदिवासी बच्चे की मौत इलाज के अभाव में हो गई. मामला गोड्डा के पारसपानी का है. मृतक बच्चे के पिता सुमित की माने तो उसके बेटे की तबियत लगभग दो-तीन महीने से खराब थी. पहले तो यहीं से इलाज करवाया बाद में रांची के रिम्स लेकर गए, लेकिन रिम्स ने ब्लड कैंसर बताकर दिल्ली एम्स ले जाने की सलाह दी गई.
दिल्ली एम्स में जाकर कुछ दिनों तक रहने के बाद जब वहां बेड नहीं मिला तो थक हारकर वो वापस गोड्डा लौट आए. गोड्डा आकर वो अपने गांव ना जाकर सदर अस्पताल ही पहुंचे. डॉक्टरों ने बच्चे को ब्लड चढ़ाने की सलाह दी थी. लिहाजा पिता सुमित सदर अस्पताल ले जाकर बच्चे को ब्लड चढ़वाया. इसके बाद एक और युनिट ब्लड की जरूरत पड़ी. सुमित पूरे दिन भटकता रहा, लेकिन उसे कहीं बल्ड नहीं मिला.
जब दूसरे दिन उसने ब्लड की व्यवस्था की तबतक बहुत देर हो चुकी थी. 4 साल के मासूम ने दम तोड़ दिया. सुमित के मुताबिक उसने विधायक अमित मंडल और पूर्व विधायक संजय यादव से भी मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन एक ने फोन नहीं उठाया तो दूसरे ने दिल्ली जाकर फोन करने की बात कही, लेकिन कोई मदद नहीं मिली.
HIGHLIGHTS
- मासूम की मौत का कौन जिम्मेदार?
- ब्लड ना मिलने से मासूम की हुई मौत
- ब्लड कैंसर से जूझ रहा था 4 साल का मासूम
- एक यूनिट ब्लड के लिए भटकते रहे पिता
- विधायकों से लगाई थी मदद की गुहार
- ना मदद मिली... ना बेटा साथ रहा
Source : News State Bihar Jharkhand