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Sawan 2023: सुल्तानगंज से देवघर तक शिव की महिमा, कांवड़ यात्रा से दिख रही आस्था की अनोखी तस्वीरें

शिव की महिमा का बखान करना आसान नहीं है. शिव की महिमा को जानना आसान नहीं है. ये तो वो ही जान पाते हैं, जो शिव की भक्ति में रम जाते हैं.

Updated on: 17 Jul 2023, 12:20 PM

highlights

  • चल कांवड़िया...शिव नगरिया
  • कांवड़ यात्रा की पूरी तस्वीर
  • सुल्तानगंज से देवघर...भक्ति की डगर

Deoghar:

शिव की महिमा का बखान करना आसान नहीं है. शिव की महिमा को जानना आसान नहीं है. ये तो वो ही जान पाते हैं, जो शिव की भक्ति में रम जाते हैं. सावन के महीने में कांवड़ लेकर कांवड़िये बाबाधाम निकल पड़े हैं. देवघर में भगवान शिव के दर पर जलाभिषेक कर रहे हैं और खुद को धन्य मान रहे हैं. सुल्तानगंज से देवघर की दूरी 100 किलोमीटर से भी ज्यादा है और इस दूरी को तय करने के लिए कांवड़िये बोल बम के जयकारे लगाते हैं. फिर सामान्य कांवड़िये हों, दिव्यांग हो, उनकी एक ही धुन होती है. चल कांवड़िया, शिव की नगरिया.

चल कांवड़िया...शिव नगरिया

मन में भोले की भक्ति और तन में शिव आराधना की अदृश्य शक्ति कांवड़ियों को थकने नहीं देती. कदम जैसे जैसे बाबाधाम की ओर बढ़ते हैं, बोल बम के जयकारे और जोर जोर से गूंजने लगते हैं. शिव, शक्ति हैं. शिव, समर्पण हैं और इसी समर्पण को साधे कांवड़िये जल का अपर्ण करने देवघर के रास्ते पर निकल पड़े हैं. सावन के महीने में सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर मन में महादेव का सुमिरन करते.. जब कांवड़िये जत्थे में निकलते हैं, तो आस्था की अनोखी तस्वीरें दिखाई देने लगती हैं.

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भक्ति की डगर

ना नेत्रहीन को भगवान शिव से शिकायत है ना दोनों पैरों से दिव्यांग दोस्तों के दिल में मलाल है. सब भोले की भक्ति के सहारे सुल्तानगंज से चल पड़ते हैं. इस उम्मीद में कि बाबा भोलेनाथ श्रद्धा की परीक्षा में पास जरूर करेंगे. कटिहार के रहने वाले नेत्रहीन दुर्गेश 1990 से हर सावन में सुल्तानगंज से बाबाधाम की पैदल यात्रा करते हैं. परेशानियों से परे पटना के मसौढ़ी में रहने वाले भोलेनाथ के दो अनोखे भक्त दस सालों से जल लेकर बाबाधाम जाते हैं. दोनों ही दोनों पैरों से दिव्यांग हैं, लेकिन बाबा के दर पर पहुंचकर जल चढ़ाने की कामना कम नहीं होती.

बाबाधाम तक दंडवत यात्रा

भक्तों की इच्छाशक्ति के आगे शायद ईश्वर भी बेबस हो जाते हैं. बुजुर्ग महिला कांवड़िया ने सुल्तानगंज से बाबाधाम तक दंडवत यात्रा का प्रण किया. पति के जीवन की रक्षा की कामना की. मन्नत पूरी हुई तो शिव के दर पर दंडवत पहुंचने का संकल्प पूरा करने के लिए निकल पड़ी. सैकड़ों सुई चुभोकर..देह पर अथाह दर्द.. लेकिन दिल में श्रद्धा अगाध लेकर एक भक्त निकल पड़ा शिव नगरी की राह पर.. मन में संकल्प है कि शिव की पूजा पूरी होगी, तो जीवन भवसागर को तर जाएगा.