भगवान भरोसे शिक्षा व्यवस्था.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)
साहिबगंज में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है. यहां महीनों तक सरकारी स्कूल खुलते ही नहीं और अगर स्कूल खुल भी जाए तो शिक्षक नहीं आते. ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर न्यूज़ स्टेट बिहार-झारखंड की टीम ने शिक्षा व्यवस्था की बदहाली की पोल खोली है. सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बेहतर शिक्षा को लेकर दावे तो कई करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर ये दावे कहीं हवा हो जाते हैं और बच्चों को शिक्षा के नाम पर मिलता है तो सिर्फ आश्वासन. साहिबगंज के सरकारी स्कूल भगवान भरोसे चल रहा है. यहां के सरकारी स्कूल महीनों तक बंद रहते हैं और अगर गलती से कभी स्कूल खुल जाए तो शिक्षक ही नहीं आते.
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साहिबगंज जिले में जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अनदेखी का दंश यहां के छात्र झेलने को मजबूर हैं. आदिवासी इलाकों में खुले सरकारी स्कूलों में पढ़ाई तो दूर की बात, शिक्षक के दर्शन भी नहीं देते. 12 बजे तक स्कूल बंद होता है. घोघि गांव के ग्रामीणों की मानें तो दो महीने से यहां का सरकारी स्कूल बंद है. एक-दो महीने एक दो बार स्कूल खोल देते हैं. फिर भी शिक्षक नहीं आते. ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कई बार क्षेत्र के मुखिया और प्रखंड के बड़े-बड़े पदाधिकारियों तक से की है, लेकिन समस्या जस के तस बनी है.
अधिकारियों से बार-बार शिकायत के बाद भी मामले पर संज्ञान नहीं लिया गया है और बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं. अगर यूं ही शिक्षा व्यवस्था में लापरवाही का आलम रहा तो बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना बेइमानी साबित होगी. जरूरत है कि लापरवाह अधिकारियों और शिक्षकों पर कार्रवाई हो ताकि घोघि गांव के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिल सके.