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Year Ender Jharkhand Politics 2022: साल 2022 ने झारखंड में कांग्रेस को सुकून से सोने ना दिया

2022 में सियासी संकट में उलझे सीएम सोरेन के साथ कांग्रेस हर वक्त खड़ी रही, लेकिन प्रदेश में पार्टी लड़खड़ाती नजर आई.

Updated on: 31 Dec 2022, 12:48 PM

highlights

  • झारखंड कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह ने छोड़ा साथ
  • अविनाश पांडेय बने झारखंड कांग्रेस के प्रभारी
  • कैशकांड से हुई झारखंड कांग्रेस की किरकिरी

Ranchi:

2022 में सियासी संकट में उलझे सीएम सोरेन के साथ कांग्रेस हर वक्त खड़ी रही, लेकिन प्रदेश में पार्टी लड़खड़ाती नजर आई. 2022 की शुरुआत में ही हेमंत सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले झारखंड कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह ने साथ छोड़ दिया. साल के समापन के साथ ही प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठाये जाने लगे. प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ अभियान अपनों ने ही चलाया. अपनों ने ही किरकिरी करवाई. सच में साल 2022 ने झारखंड में कांग्रेस को सुकून से सोने ना दिया.
 
आरपीएन सिंह, झारखंड कांग्रेस का वो माहिर खिलाड़ी हैं, जिसने अपने कार्यकाल में झारखंड कांग्रेस की गुटबाजी पर लगाम लगाने में महारथ हासिल की. हेमंत सरकार के साथ तालमेल बिठाने में पूरी रणनीति बनाई. वो साल के शुरुआत में ही झारखंड कांग्रेस को छोड़ गये. आरपीएन सिंह के जाने के बाद लगने लगा कि  आरपीएन सिंह झारखंड सरकार और प्रदेश कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन सियासत के माहिर खिलाड़ी पर सवाल उठाना गलत साबित हुआ. अविनाश पांडेय झारखंड कांग्रेस के प्रभारी बनाये गये. प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के साथ उन्होंने मजबूती से काम शुरू किया और प्रदेश में संगठन मजबूत होने लगा. रणनीति जरूर नेतृत्व में बन रही थी, लेकिन नियती को कुछ और मंजूर था.

नियती के कटघड़े में खड़े थे कांग्रेस के विधायक बंधु तिर्की. 28 मार्च 2022 को बंधु तिर्की की विधायकी पर तलवार लटकी. उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी पाया गया और अप्रैल में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बंधु तिर्की को 3 साल की सजा सुना दी. साथ ही तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगा. जेवीएम से कांग्रेस में आये एक कद्दावर नेता बंधु तिर्की की विधायकी खत्म होने से कांग्रेस को इस साल बड़ा झटका लगा. हालांकि मांडर सीट पर बंधि तिर्की की बेटी ने कांग्रेस सीट पर चुनाव जीत लिया, लेकिन बंधु तिर्की पर फैसला कांग्रेस को बड़ा चोट दे गया. इस चोट से उभरने की कांग्रेस कोशिश कर ही रही थी कि साल के आखिरी महीने में फिर बड़ा घाव झारखंड में कांग्रेस को मिला. गोला गोलीकांड में कांग्रेस की एक और विधायक ममता देवी पर भी बड़ा फैसला आया. 2016 के दंगे और हत्या की कोशिश के एक मामले में कांग्रेस विधायक ममता देवी को हजारीबाग की विशेष अदालत से 5 साल की सजा सुनाई गई और सजा का ऐलान होते ही ममता देवी की विधायकी चली गई. यानि 2022 कांग्रेस के लिए मानो कुर्बानी लेकर आया.

सियासी कुर्बानी के बीच झारखंड कांग्रेस में अपनों ने ही घाव दिए. झारखंड की सियासत में इस साल कैशकांड दाग दे गया. कैशकांड में फंसे कांग्रेस के विधायकों की वजह से झारखंड कांग्रेस की खूब किरकिरी हुई. पहली बार सरकार गिराने के आरोप में पार्टी के तीन-तीन विधायकों पर एफआईआर तक दर्ज हो गई. तीन महीने तक राज्य से बाहर कांग्रेस के तीन विधायकों को रहना पड़ा. पार्टी के चौथे विधायक अनूप सिंह ने ही इन तीन विधायकों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. ईडी तक कांग्रेस के तीनों विधायकों की शिकायत लेकर कांग्रेस विधायक पहुंच गये. यानि सत्ताधारी दल होने के बावजूद अपनों के करतूत से प्रदेश नेतृत्व शर्मसार हुई.

दो-दो विधायकों की सदस्यता खत्म, फिर सरकार गिराने की साजिश के कारनामों से झारखंड कांग्रेस उबर पाई नहीं थी कि पार्टी का एक तबका प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ बागी हो गया. हालांकि 2022 के शुरुआत में ही पार्टी विरोधी काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव जरूर पास हुआ था, लेकिन साल के समापन पर प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ उठी आवाज को काबू करने में कांग्रेस नाकाम साबित हुई. झारखंड कांग्रेस कमेटी के सदस्यों समेत कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. कांग्रेस के नाराज नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर पार्टी को कमजोर करने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. राजेश ठाकुर को पद से हटाने की मांग की और प्रदेश महासचिव जैसे पार्टी के नेताओं ने राजेश ठाकुर के खिलाफ बिगुल फूंक दिया.

तमाम विवादों के बीच झारखंड कांग्रेस के लिए दिसंबर में दिल को खुश करने वाला संवाद दिल्ली से आया. 6 साल बाद झारखंड कांग्रेस की नई कमेटी बनी और शायद तमाम विवादों को भूल झारखंड कांग्रेस साल 2022 को इसी राहत के साथ याद रखेगी.

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