Jharkhand Politics 2022: एक चिट्ठी के इर्द-गिर्द झूलती रही साल 2022 में झारखंड की सियासत

22 में 22 साल के झारखंड में सियासत के हर रूप देखने को मिला. राजनीतिक अस्थिरता के लिए बदनाम रहे झारखंड में साल के शुरुआत में सब कुछ सामान्य था.

22 में 22 साल के झारखंड में सियासत के हर रूप देखने को मिला. राजनीतिक अस्थिरता के लिए बदनाम रहे झारखंड में साल के शुरुआत में सब कुछ सामान्य था.

author-image
Jatin Madan
New Update
hemant soren

सीएम हेमंत सोरेन( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

22 में 22 साल के झारखंड में सियासत के हर रूप देखने को मिला. राजनीतिक अस्थिरता के लिए बदनाम रहे झारखंड में साल के शुरुआत में सब कुछ सामान्य था. महागठबंधन की सरकार साल के 6 महीने तक हर मौके पर बीजेपी पर वार करते दिखी. बीजेपी सरकार के हर वार पर पलटवार जरूर कर रही थी, लेकिन इस सियासी द्वंद में सियासी हलचल के संकते थे. साल 2022 में वक्त बीतता रहा और जुलाई अगस्त में झारखंड की सियासत में वो भूचाल आया. जिसकी कल्पना शायद किसी ने की नहीं थी.

Advertisment

14 साल तक निर्दलीयों का कुनबा जहां मजबूत रहा, जहां की राजनीति 14 साल तक निर्दलीयों के इर्द-गिर्द ही घूमती रही वहां पिछले तीन साल से स्थिर सरकार है, लेकिन इस स्थिरता के बीच जून 22 में भूचाल आया. सामान्य बहुमत से अधिक विधायकों का आंकड़ा होने के बावजूद हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरा मंडराता रहा. राजनीतिक अस्थिरता की वजह इस बार सियासत नहीं खुद सीएम हेमंत सोरेन रहे.

झारखंड की सियासत में पूरे साल शह और मात का खेल चलता रहा. एक चिट्ठी के इर्द-गिर्द ही 2022 में झारखंड की सियासत पेंडुलम की तरह झूलती रही. जून में सीएम सोरेन को लेकर जो सियासी सिलसिला शुरू हुआ. वो साल के आखिरी वक्त तक या यूं कहें कि आने वाले वक्त तक चलती रहेगी. साल के आधे महीने हर वक्त लगा कि मोड़ लेने वाली है झारखंड की राजनीति. चक्रव्यूह में फंस गये हैं सीएम सोरेन, लेकिन हर बार वे और ताकतवार होकर बाहर निकले. सत्ता का पूरा समीकरण साधे बैठे सीएम सोरेन विपक्षी के लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ते दिखे और शायद यही वजह है कि विपक्षी दल बीजेपी साल पर आस लगाये बैठी रही. सत्ता पर बैठने की ताकत झारखंड में बीजेपी के पास फिलहाल रही नहीं तो राज्यपाल के फैसले पर उम्मीद लगाने का अलावा बीजेपी के पास कोई विकल्प इस साल नहीं दिखा.

सीएम सोरेन पर इस साल संकट के बादल दिखे जरूर, लेकिन सत्ता की ताकत के साथ साथ उनके पास सत्ताधारी दलों का पूरा सपोर्ट रहा. इसलिए उलझने के बीच भी सीएम सोरेन सुलझे नजर आये. सिटी बजाते नजर आये. विक्टरी साइन दिखाते नजर आये. विपक्षी दलों को मूंह चिढ़ाते नजर आये. केंद्र और राज्यपाल से दो-दो हाथ करते नजर आये. दरअसल सीएम की उलझन की नींव 2021 में ही पड़ गई थी. शिव शंकर शर्मा की तरफ से डाले गये एक PIL से. इस केस में सीएम सोरेन पर आरोप लगा कि उनकी कई शेल कंपनियां हैं. यानी फर्जी कंपनी जिसके जरिये सीएम सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग करते हैं और फिर दूसरा मामला भी जुड़ा. माइनिंग से जुड़ा ये मामला था.

EC के नोटिस सीएम सोरेन को मिलते रहे. सीएम जवाब देने से बचते रहे. मामला झारखंड हाईकोर्ट तक पहुंच गया. बीजेपी सोरेन के खिलाफ राज्यपाल के पास पहुंच गई. जून के समापन के साथ झारखंड में सियासी संग्राम मच गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर पत्थर खनन लीज संबंधी शिकायतों से तेज हुई राजनीतिक सरगर्मी में ED का दखल हुआ. जुलाई के महीने में सीएम के खिलाफ एक हजार करोड़ रुपये के पत्थर खनन घोटाले में ईडी ने कार्रवाई शुरू कर दी. यानि एक तरफ प्रवर्तन निदेशालय ने अवैध खनन घोटाला के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुलाया दो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अपने नाम से पत्थर खनन लीज लेने संबंधी आरोप में उनकी विधानसभा की सदस्यता पर भी तलवार लटकती रही. ऊपर से सोरेन पर शिकंजा कसने में राज्यपाल की भूमिका भी नजर आई. जिसमें राज्यपाल ने चुनाव आयोग से सोरेन की विधायकी को लेकर राय मांगी, लेकिन हेमंत सोरेन अभिमन्यु नजर नहीं. 

यानि 2022 के शुरू से ही सीएम सोरेन धीरे-धीरे आरोपों के चक्रव्यूह में फंसते नजर आये. कड़ी परीक्षा के दौर से उन्हें गुजरना पड़ा. सवाल-जवाब के बीच डर सत्ता जाने का भी था. खरीद-फरोख्त के मामले में मशहूर झारखंड की राजनीति से सीएम वाकिफ थे. लिहाजा संकट की इस घड़ी में सीएम को डर विधायकों की खरीद-फरोख्त का भी था. ऑपरेशन लोटस की सुगबुगाहट झारखंड में चारों ओर चलने लगी. ऊपर से चुनाव आयोग की चिट्ठी राज्यपाल तक पहुंचने की खबर ने झारखंड की सियासत में भूचाल ला दिया. सियासी शोर होने लगा कि सीएम सोरेन अब मुश्किल में हैं, लेकिन यहां भी सीएम सोरेन सियासत के माहिर खिलाड़ी निकले. विधायकों के खरीद-फरोख्त की आशंकाओं के बीच सीएम ने यहां रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का खेल खेला. झारखंड की सियासत छत्तीसगढ़ शिफ्ट हुई, लेकिन अपनी सरकार पर छाए संकट के सवाल पर सीएम बेफिक्र नजर आये और कहा कि मैं कुर्सी से दिल्लगी नहीं करता, मेरा दिल राज्य की जनता से लगा है.

झारखंड में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स के बाद शक्ति प्रदर्शन की तस्वीर भी सोरेन ने विपक्षी को दिखाई. सरकार के सहयोगी दलों में एकजुटता का रंग दिखाया. सदन में बहुमत हासिल करने का दांव खेला. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी कुर्सी पर मंडराते सियासी संकट के बीच सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास मत हासिल कर लिया. अत्मविश्वास से भरे सोरेन यह संदेश देने में सफल रहे कि बीजेपी दिल्ली से लेकर रांची तक उनके खिलाफ साजिश कर रही है, लेकिन वो डरने वाले नहीं हैं. हेमंत सोरेन विश्वास प्रस्ताव पास कर भले ही अब विपक्ष के लिए छह महीने तक सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाना मुश्किल कर दिया, लेकिन सोरेन की सदस्यता पर संकट बने रहे.

बहुमत हासिल करने के लिए सरकार की ओर से बुलाये गये इस एक दिन के विशेष सत्र में बीजेपी भले ही महागठबंधन को आईना दिखाने में नाकाम हो गई हो, लेकिन हेमंत सोरेन ने एक तीर से कई शिकार जरूर किए. तमाम सियासी संकट के बीच हेमंत सोरेन साल के आखिरी महीने तक आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आए. सोरेन ने बताया कि किसी चिट्ठी से वे डरने वाले नहीं हैं और ना ही उनकी सरकार घबराने वाली है. 

यह भी पढ़ें : Bye Bye 2022 : जानिए साल 2022 ने कैसे बदली तेजस्वी यादव की किस्मत

HIGHLIGHTS

  • सालभर बीजेपी करती दिखी सरकार पर वार
  • सरकार को रहा सत्ताधारी दलों का पूरा सपोर्ट
  • सीएम ने खेला रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का खेल

Source : News State Bihar Jharkhand

Jharkhand BJP Year Ender Jharkhand Politics 2022 politics of Jharkhand jharkhand-news latest Jharkhand news in Hindi jharkhand politics
      
Advertisment