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करोड़ों का पुल बनने के बाद भी क्यों ग्रामीण हैं परेशान? जान जोखिम में डालने को मजबूर

पलामू में जनप्रतिनिधियों की लापरवाही का दंश आम जनता झेल रही है.

Updated on: 24 Nov 2022, 04:27 PM

highlights

.करोड़ों का पुल... फिर भी ग्रामीण परेशान
.पुल के दोनों ओर है जर्जर सड़कें
.बारिश के मौसम में बढ़ जाती है परेशानी
.जान जोखिम में डालकर लोग करते हैं आवाजाही 

Palamu:

पलामू में जनप्रतिनिधियों की लापरवाही का दंश आम जनता झेल रही है. दरअसल 2017 में करोड़ों रुपए खर्च कर कोयल नदी पर एक पुल बनाया गया, लेकिन आज तक पुल के एप्रोच सड़क का निर्माण नहीं हुआ. लिहाजा करोड़ों रुपए तो खर्ज हो गए, लेकिन लोगों की परेशानी जस के तस बनी हुई है. पुल का शिलान्यास ताम-झाम के साथ 2014 में किया गया और 2017 में पुल बनकर तैयार भी हो गया था, लेकिन निर्माण होने के 5 साल बाद तक पुल को जोड़ने वाली एप्रोच सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. लिहाजा लोगों की समस्या जस के तस बनी हुई है.

मेदनीनगर के सिंगरा गांव से चैनपुर के चेड़ाबार गांव को जोड़ने वाली कोयल नदी पर पुल बना है. 2014 में इसका शिलान्यास तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री केन त्रिपाठी ने किया था, लेकिन पुल निर्माण के बाद तमाम जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने स्थानीय लोगों की सुध ही नहीं ली. नतीजतन करोड़ों की लागत से बना पुल महज एक एप्रोच सड़क नहीं होने के चलते अधूरा है. पुल के दोनों छोर पर जर्जर सड़के हैं. यहां हर दिन सैकड़ों गाड़ियों की आवाजाही होती है. राहगीर भी जान जोखिम में डालकर इस पुल से गुजरते हैं.

जब इस पुल का निर्माण हुआ तो ग्रामीणों को लगा कि शायद उनकी आवाजाही आसान हो जाएगी, लेकिन आज भी एप्रोच सड़क की बदहाली स्थानीय लोगों का सिरदर्द बनी है. बारिश के दिनों में ये जर्जर सड़क कीचड़ से सन जाती है और इसी से होकर ग्रामीणों को पुल पार करना होता है. ऐसे में लोगों को हादसे का डर सताता रहता है.

रिपोर्ट : श्रवण पांडे

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