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नोशेरा में पाकिस्तान ने किया सीजफायर का उल्लंघन, सेना के JCO शहीद

बार-बार मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है.एक बार फिर उसने राजौरी के नोशेरा में सीजफायर का उल्लंघन किया जिसमें सेना के JCO शहीद हो गए हैं.

Updated on: 30 Aug 2020, 11:40 AM

नई दिल्ली:

बार-बार मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है.एक बार फिर उसने राजौरी के नोशेरा में सीजफायर का उल्लंघन किया जिसमें सेना के JCO शहीद हो गए हैं. बताया जा रहा है कि नोशेरा के कलसियां में LoC में दोनो तरफ़ से हो रही फ़ायरिंग के दौरान JCO शहिद हुए.  जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान लगातार कल से पूंछ और राजौरी के अलग अलग सेक्टर में सीज़ फ़ायर का उल्लंघन करते हुए फ़ायरिंग कर रहा है.

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इससे पहले खबर आ रही थी कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में ठंड का मौसम शुरू होने से पहले पाकिस्तान (Pakistan) में बैठे आतंकी भारत में घुसपैठ करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. इसको लेकर खुफिया विभाग ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को आगाह किया है. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar E Taiba) ने 12 जिहादियों को ट्रेनिंग दे कर भारत में घुसपैठ (Infiltration) करने के लिए तैयार किया है. इन जिहादियों को लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) से भारत में घुसपैठ करा कर पाकिस्तान एक्शन बॉर्डर टीम ने भारतीय आर्मी (Indian Army) पोस्ट पर बड़े हमले की योजना बनाई है.

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दर्जन भर लश्कर आतंकी एलओसी पर जमे

खुफिया एजेंसी ने चेताया है कि रजौरी जिले के भिंभर गली (बीजी) सेक्टर में लश्कर-ए-तैयबा 6 जिहादियों को एक गाइड की मदद से भारत में प्रवेश कराने की कोशिश कर रहा है. खुफिया एजेंसी ने पुंछ सेक्टर में भी सुरक्षा बलों को अलर्ट किया है कि 6 जिहादी कमांडर अब्दुल फजल की मदद से एलओसी पार करने की कोशिश कर रहे हैं. सुरक्षा बलों का कहना है कि कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान हर संभव कोशिश कर रहा है कि जम्मू कश्मीर के लोगों को भड़काया जाए.

गर्मी का मौसम खत्म हो रहा है. ऐसे में पाकिस्तान हर संभव आतंकियों को घाटी में घुसाने की कोशिश में लगा हुआ है ताकि आतंकवादी गतिविधियां चलती रहे. एक सीनियर आईपीएस ऑफिसर ने कहा कि सुरक्षा बलों की आतंकी निरोधी ग्रिड इतना मजबूत है कि किसी भी तरह की घुसपैठ को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि आतंकी गतिविधियों में स्थानीय लोगों की भागीदारी काफी हद तक कम हुई है और सुरक्षा बलों ने हिंसात्मक घटनाओं की संख्या को कम करने में भी काबू पाया है.