तालिबानी सोच को बड़ा जवाब, पहली बार जम्मू बॉर्डर की बेटी बनी फ्लाइंग ऑफिसर
पाकिस्तान की फायरिंग के साये के बीच साम्बा बॉर्डर के गांव से पहली बार प्रियंका चौधरी नाम की लड़की ने इंडियन एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर चुनी गई है जो बॉर्डर जे बच्चो खासकर लड़कियों के लिए मिसाल बन गई है
नई दिल्ली:
तालिबान में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के बीच जम्मू के साम्बा बॉर्डर से महिलाओं को हिम्मत देने वाली खबर सामने आई है. पाकिस्तान की फायरिंग के साये के बीच साम्बा बॉर्डर के गांव से पहली बार प्रियंका चौधरी नाम की लड़की ने इंडियन एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर चुनी गई है जो बॉर्डर जे बच्चो खासकर लड़कियों के लिए मिसाल बन गई है. इंडियन एयर फोर्स में फ्लाइट लेफ्टिनेंट बनने जा रही ये सांबा के कांग्वाल गांव की बेटी प्रियंका चौधरी हैं. बॉर्डर की दूसरे बच्चों की तरह प्रियंका का बचपन भी पाकिस्तान से होने वाली शेललिंग के साए में गुजरा है. पाकिस्तान की फायरिंग के चलते बचपन से ही प्रियंका को पढ़ाई के लिए काफी दुश्वारियां का सामना करना पड़ा. लेकिन प्रियंका ने इन सभी मुस्किलो को अपनी ताकत बना लिया.
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शेललिंग से होने वाली दिक्कतों के बावजूद प्रियंका ने बेहतरीन आंको से 12वीं पास की. जिसके बाद प्रियंका ने जम्मू यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई को पूरा किया. बॉर्डर पर रहने और एक फौजी की बेटी होने के कारण प्रियंका बचपन से ही डिफेंस फोर्सेस में जाना चाहती थी. जिसके लिए प्रियंका ने हर मुश्किल का सामना करते हुए एयरफोर्स का एग्जाम दिया जिसके बाद आज वह एयर फोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में जगह बनाने में कामयाब हो गई. प्रियंका की इस उपलब्धि के बाद उनके घर पर उन्हें मुबारकबाद देने के लिए नेताओं से लेकर गांव के लोगों का तांता लगा है. बॉर्डर के लोग अपनी बेटी को एयर फोर्स में शामिल होने से काफी खुश हैं और गर्व महसूस कर रहे हैं. लोगों के मुताबिक प्रियंका ने एयर फ़ोर्स का एग्जाम निकालकर बॉर्डर के बच्चों खास तौर पर लड़कियों के लिए एक मिसाल कायम कर दी है.
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प्रियंका अपनी कामयाबी के पीछे सबसे बड़ा श्रय अपने पिता को देती हैं. प्रियंका के पिता कैप्टन उजागर सिंह सेना में कार्यरत थे उन्होंने भी लगातार देश की सेवा की सेना में सेवाएं देने के दौरान, प्रियंका के पिता के मुताबिक प्रियंका के इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था. प्रियंका और उसके परिवार को काफी बार शेललिंग के दौरान अपने घर को भी छोड़ना पड़ा. लेकिन बावजूद इसके प्रियंका ने हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ती रही. प्रियंका की कामयाबी के बाद उसके पिता चाहते हैं की बॉर्डर की दूसरी लड़कियां भी प्रियंका से प्रेरणा लेते हुए बड़े मुकाम तक पहुंचे.
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