दस साल के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस बार चुनाव में भाजपा और कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. कई सीटों पर टफ फाइट होने की संभावना बताई जा रही है. आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर की ऐसी 10 विधानसभा सीटें हैं, जहां पर कुछ वोटों के इधर-उधर होने से सियासी खेल बदल जाता है. ऐसे में सभी पार्टियों की निगाहें इन्हीं सीटों पर है.
जम्मू-कश्मीर में 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे. उस वक्त 50 विधानसभा सीटें ऐसी पाई गई थीं, जहां पर कुछ वोटों से खेल बदल गया था. यहां पर निर्णय कुल वोटों के 10 फीसदी से कम के अंतर हुआ था. यहां पर कम मार्जिन वाली 18 सीटें पर पीडीपी को जीत मिली थी. इसके बाद 13 सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को विजय मिली. इसके बाद भाजपा को सात और कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं. इसके अलावा छह सीटें निर्दलीय और छोटी पार्टियों के हाथ में गई. इसमें से दस सीटें ऐसी थीं, जिन पर हारजीत का अंत एक हजार से भी काफी कम था.
ये भी पढे़ं: Break on Jumma : अब जुमे पर नहीं मिलेगा दो घंटे का ब्रेक, सरकार ने लिया अहम फैसला
जम्मू-कश्मीर में कम अंतर से जीत वालीं सीटें
जम्मू-कश्मीर में एक हजार से कम अंतर वाली ऐसी 10 सीटें मौजूद हैं. ये सीटें कुपवाड़ा, गुरेज, सोनावारी, गांदरबल, ईदगाह, बीरवा, कुलगाम, दुरू, पहलगाम, जांस्कर हैं. ऐसी ही सीट हैं कुपवाड़ा. यहां पर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के बशीर धार सिर्फ 151 वोटे से विजयी हुए. वहीं गुरेज की सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नजीर अहमद खान महज 141 वोट से विजयी हुए. सोनावारी सीट पर ऐसा हाल देखने को मिला. यहां पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मो.अकबर लोन 406 वोट से विजयी हुए. इस तरह से गांदरबल सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के इशफाक अहमद शेख ने 597 वोटों से जीत हासिल की थी.
ईदगाह विधानसभा सीट पर नेशनल कॉफ्रेंस के मुबारिक अहमद गुल सिर्फ 608 वोटों से जीत दर्ज कर पाए थे. यहां पर बीरवा सीट एनसी के उमर अब्दुल्ला जीत थे, वे सिर्फ 910 वोटों से जीते. कुलगाम विधानसभा सीट पर सीपीआई (एम) के मो. युसुफ तरीगामी को जीत मिली. वह 334 वोट से जीत पाए थे. दुरू विधानसभा की सीट पर नेशनल कॉफ्रेंस के अलताफ अहमद वानी ने 904 वोटों से जीत दर्ज की. जांस्कर विधानसभा सीट पर निर्दलीय सैयद मो.बाकिर रिजवी को जीत मिली थी. उन्होंने 566 वोट से जीत दर्ज की थी.
ये भी पढे़ं: Jharkhand Politics: JMM छोड़ BJP के हुए चंपई सोरेन, बाबूलाल मरांडी ने दिलाई सदस्यता
NC को इन सीटों पर कम मार्जिन से मिली जीत
एक हजार से भी कम अंतर वीली ऐसी 10 सीटें हैं, जहां पर अधिकतर सीटें जहां पर नेशनल कॉफ्रेंस विजयी हुई. पीडीपी इन सीटों पर दूसरे स्थान पर रही. दस साल बाद ये विधानसभा हो रहे हैं. यहां पर धारा 370 को खत्म करने के बाद विधानसभा चुनाव किए जा रहे हैं. ऐसे में परिसीमन के कारण कई सीटों का स्वरूप बदला हुआ है. एससी और एसटी समुदाय को लेकर विधानसभा सीटें आरक्षित हैं. वहीं कई मतदाता इधर से उधर हुए हैं. ऐसे में देखा जा तो पहले मुकाबले यहां पर परिस्थितियां काफी बदली हुईं हैं. इसके कारण कम मार्जिन वाली सीटों पर सबकी नजरें टिकी हैं.
ऐसे में विधानसभा चुनाव एक हजार मतदाता खेल बिगाड़ सकते हैं. इस बार गई क्षेत्रीय पपार्टियां मैदान में हैं. इसमें निर्दलीय भी बड़ा रोल अदा करेंगे. यहां पर एक सीट के लिए पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर है. सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है.