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Break on Jumma : अब जुमे पर नहीं मिलेगा दो घंटे का ब्रेक, सरकार ने लिया अहम फैसला

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा की है, जिसमें असम विधानसभा ने जुम्मे (शुक्रवार) के दिन सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले दो घंटे के ब्रेक को समाप्त कर दिया है.

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Prashant Jha
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जुमे पर ब्रेक खत्म

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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा की है, जिसमें असम विधानसभा ने जुम्मे (शुक्रवार) के दिन सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले दो घंटे के ब्रेक को समाप्त कर दिया है. यह कदम असम सरकार की ओर से प्रोडक्टिविटी को प्राथमिकता देने और औपनिवेशिक काल की प्रथाओं को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है.

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मुख्यमंत्री ने किया ट्वीट

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस निर्णय की सराहना करते हुए ट्वीट किया, जुमेके दो घंटे के ब्रेक को खत्म करके, असम विधानसभा ने प्रोडक्टिविटी को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक युग की एक और परंपरा को समाप्त कर दिया है. यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई थी. इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए मैं स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और हमारे विधायकों को धन्यवाद देता हूँ."

साल 1937 से चली आ रही थी प्रथा

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बता दें कि साल 1937 में सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई यह प्रथा, जब से असम के सार्वजनिक जीवन में शामिल की गई थी, तब से इसे हर शुक्रवार को दो घंटे का ब्रेक देने की आदत बन गई थी. यह निर्णय उस समय की प्रशासनिक और धार्मिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया था. लेकिन अब, असम सरकार ने इसे समाप्त करने का फैसला किया है, जिसका उद्देश्य सरकारी कामकाज की उत्पादकता को बढ़ाना और उस समय की औपनिवेशिक परंपराओं से मुक्त होना है.

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क्या होगा असर?

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इस निर्णय का असर सरकारी कर्मचारियों के कार्य समय पर पड़ेगा, क्योंकि अब उन्हें शुक्रवार को दो घंटे का अतिरिक्त ब्रेक नहीं मिलेगा. इससे सरकारी कार्यों में संभावित सुधार की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि सरकारी कामकाज अब बिना किसी ब्रेक के पूरी क्षमता के साथ किया जा सकेगा.

सीनियर नेताओं ने बताया अहम फैसला

स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और अन्य विधायकों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को असम की ऐतिहासिक प्रगति के रूप में भी प्रस्तुत किया है. यह निर्णय असम के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव की ओर एक बड़ा कदम है और यह दर्शाता है कि राज्य सरकार अपनी नीतियों और प्रथाओं को वर्तमान समय के अनुरूप ढालने के लिए प्रतिबद्ध है.

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