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कश्मीर: फारूक अब्दुल्ला के गुपकार गठबंधन ने 4 महीने में तोड़ा दम, जानें कैसे

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर के पांच जिलों में डीडीसी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को रोकने के उद्देश्य से नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में पिछले साल 20 अक्टूबर को गठित पीएजीडी ने चार महीनों में ही दम तोड़ दिया है.

Updated on: 06 Feb 2021, 07:49 PM

highlights

  • पीएजीडी ने चार महीनों में ही तोड़ा दम
  • पिछले साल 20 अक्टूबर को गठित हुआ था गुपकार गठबंधन
  • बीजेपी को रोकने के लिए एक हुई थीं राजनीतिक पार्टियां

नई दिल्ली:

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर (Jammu-Kashmir DDC Election) के पांच जिलों में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को रोकने के उद्देश्य से नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की अध्यक्षता में पिछले साल 20 अक्टूबर को गठित कश्मीर्स पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने चार महीनों में ही दम तोड़ दिया है. फारूक अब्दुल्ला फिलहाल दिल्ली में हैं, जबकि गुपकार की एक अन्य महत्वपूर्ण सदस्य पीडीपी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जम्मू में हैं. शुक्रवार देर शाम तक भाजपा और इसकी सहयोग पार्टी अल्ताफ बुखारी की 'अपनी पार्टी' को रोकने के लिए पीएजीडी के घटक दलों के बीच वार्ता के कोई संकेत नहीं दिखे, जबकि शनिवार को ही श्रीनगर, शोपियां, कुलगाम, जम्मू और कठुआ जिलों में डीडीसी के चुनाव हुए.

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पीएजीडी का तीसरा घटक दल सज्जाद लोन की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस इस संगठन से पहले ही अलग हो चुकी है. इसने केंद्र की भाजपा सरकार से नजदीकी बढ़ाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. गौरतलब है कि पीएजीडी मुख्यधारा की सात विपक्षी पार्टियों का एक गठबंधन था. इसके गठन का मकसद भाजपा और अपनी पार्टी को रोकने के लिए मिलकर चुनाव लड़ना था, ताकि वे कश्मीर घाटी में डीडीसी व अन्य लोकतांत्रिक संस्थानों के महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हो सकें. फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस को पिछले चुनावों में जबरदस्त जीत मिली थी, जबकि अब वे पराजय की दहलीज पर खड़े हैं.

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महबूबा की देशद्रोही सोच को झटका, गुपकार रोड पर पहली बार फहरा तिरंगा

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील यह राज्य बहुत कुछ पहली बार देख रहा है. यह भी पहली बार है कि आतंकवादियों और अलगवावादियों के लिए जार-जार आंसू बहाने और तिरंगे पर बेहद आपत्तिजनक बयान देने वाली पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के लिए यह गणतंत्र दिवस किसी झटके से कम नहीं रहा. खासकर नजरबंदी से रिहाई के बाद गुपकार एलायंस के गठन से यह संयोग इतिहास में दर्ज हो गया है. इस 72वें गणतंत्र दिवस पर श्रीनगर की गुपकार रोड पर पहली बार तिरंगा फहराया गया. अनुच्छेद 370 की बहाली तक तिरंगा नहीं उठाने का बयान देने वाली महबूबा के लिए यह किसी सदमे से कम नहीं होगा.